उत्पादन कम प्रदेश में 87.09 लाख दुधारू पशुधन हैं। इनमें 53.52 लाख गौ, 6.06 लाख भैंस व 27.51 लाख बकरियां हैं। इनमें से 23.99 फीसदी यानी 12.84 लाख गायें दूध दे रही हैं। वहीं 29.80 फीसदी भैसों और 28.22 फीसदी बकरियों से ही दूध मिल रहा है। इससे प्रदेश में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की उपलब्धता महज 154 ग्राम तक पहुंच पाया है। यह राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 406 ग्राम है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर 1984.05 लाख टन दूध का उत्पादन हो रहा है। इस तरह राष्ट्रीय उत्पादन में हमारा योगदान एक फीसदी भी नहीं है।
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पिछले पांच साल में दूध की उत्पादकता और प्रति व्यक्ति उपलब्धतावर्ष | दूध उत्पादन (लाख टन) | प्रति व्यक्ति/ दिन उपलब्धता(ग्राम) |
2016-17 | 13.87 | 134 |
2017-18 | 14.69 | 137 |
2018-19 | 15.67 | 143 |
2019-20 | 16.77 | 152 |
2020-21 | 17.47 | 154 |
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प्रजाति | संख्या | दूध दे रही |
गाय | 5351946 | 1284160 |
भैस | 606286 | 180719 |
बकरी | 2751324 | 776565 |
टोटल | 8709556 | 2241444 |
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70 फीसदी पशुधन अनुपयोगी प्रदेश में सामान्य स्थिति में करीब 20 से 30 फीसदी पशुधन से ही दूध प्राप्त होता है। शेष 70 से 80 फीसदी पशुधन ड्राई अथवा अनुपयोगी रहते हैं। इसका मुख्य कारण लंबे समय तक दूध निकालने का चलन और देसी प्रजाति में विलंब से गर्भधारण माना जाता है। नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भधन, डेयरी विकास, प्रसंस्करण उद्योग व दूसरी व्यवस्थाओं से इसमें काफी हद तक सुधार किया जा सकता है। यह भी पढ़ें
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बनाना होगा मुख्य उद्यम प्रगतिशील दुग्ध उत्पादक कृषक समिति के अध्यक्ष रविप्रकाश ताम्रकार बताते हैं कि प्रदेश में आमतौर पर पशुपालन का कार्य खेती के साथ विकल्प के रूप में किया जाता है। अधिकतर लोग इससे खुद की जरूरत की पूर्ति तक ही सीमित हैं। पशुपालन को भी मुख्य उद्यम के रूप में अपनाए जाने की दरकार है। इससे किसानों को फायदा होगा और दूध उपलब्धता भी बढ़ेगी। इसलिए मनाते हैं दुग्ध दिवस दूध स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है। इसकी उपयोगिता बताने और इसे डाइट में शामिल करने को लेकर जागरुकता के मद्देनजर हर साल 1 जून को (World Milk Day Special 2023) विश्व दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारत के श्वेत क्रांति के जनक कहे जाने वाले वर्गीस कुरियन का जन्म हुआ था। वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य विभाग ने इसकी शुरूआत की।