यह भी पढ़ें: Video: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पहुंचे छत्तीसगढ़ के सैकड़ों NSUI कार्यकर्ता, देखें यहां.. एनईपी सेमेस्टर के दौरान विश्वविद्यालय उन विद्यार्थियों के आवेदन स्वीकार करेगा, जिनके पास पैसों की तंगी है। हाल ही में हुई कार्यपरिषद ने इस पर मुहर लगा दी है। इसके लिए विश्वविद्यालय योजना तैयार कर रहा है। आने वाले कुछ दिनाें में इसके संबंध में सभी शासकीय महाविद्यालयाें को सूचित किया जाएगा। इस योजना का लाभ विद्यार्थियों को कुलपति निधि के रूप में मिलेगा।
ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे छात्र जो शुल्क का भुगतान करने में सक्षम नहीं होंगे, वे अपने आवेदन सीधे विश्वविद्यालय या कॉलेज के मार्फत भेज पाएंगे। विश्वविद्यालय कुछ समय में इसको लेकर अधिसूचना जारी करेगा।
प्रोफेसरों को भी फायदा
हेमचंद विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले शोधार्थी अब स्कॉलरशिप के हकदार होंगे। विश्वविद्यालय इन शोधार्थियों को स्कॉलरशिप देने के लिए सालाना 15 लाख खर्च करेगा। इसके अलावा युवा उत्सव के लिए जाने वाले विद्यार्थियों को पहले तक जहां 5 लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाते थे, उसे बढ़ाकर 15 लाख कर दिया गया है। इस बैठक में एक बड़ा निर्णय निजी और शासकीय कॉलेजों के प्राध्यापकों के लिए भी लिया गया है। कई बार विपरित परिस्थितियों में कॉलेजों के प्राध्यापक, स्टाफ को बाहरी संस्थाओं से लोन लेना पड़ता है, लेकिन अब उन्हें विश्वविद्यालय से भी लोन मिल सकेगा। दरअसल, उत्तरपुस्तिकाओं की जांच करने दौरान विवि प्रत्येक प्रोफेसर से कुल भुगतान का 3 फीसदी विशेष मद में लेती थी। अब इसी फंड का उपयोग कर प्रोफेसरों को लोन दिया जा सकेगा।