बच्ची का इलाज पहले शिशु रोग विशेषज्ञ ने किया
जिस निजी अस्पताल में बच्ची को इलाज कराने के लिए ले गए थे, वहां के ग्यानोकोलॉजिस्ट डॉक्टर ने पत्रिका को बताया कि बच्ची के साथ इस तरह की घटना के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। इलाज कराने के 20 दिन बाद जब 2 अगस्त को स्कूल में हंगामा हुआ, तब हम भी हैरान रह गए। डॉक्टर का कहना है कि 5 जुलाई को शाम करीब 4.30 बजे बच्ची की दादी और मां बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल लाए थे। तब उसे 102 डिग्री बुखार था। बच्ची कंपकंपा रही थी। बच्ची का इलाज पहले शिशु रोग विशेषज्ञ ने किया। बच्ची की मां ने उसे बच्ची के प्राइवेट पार्ट में खुजली की जानकारी दी तब शिशु रोग विशेषज्ञ ने बच्ची को उनके पास भेजा। डॉक्टर ने बताया कि उसने जांच की। उसके प्राइवेट पार्ट में ल्यूकोरिया जैसे लक्षण दिखे थे। तब दवाई देकर बच्ची के पालकों को ब्लड जांच और सोनोग्राफी जांच करवा कर रिपोर्ट दिखाने के लिए कहा, लेकिन वे लोग दोबारा नहीं आए। सोनोग्राफी करवाए या नहीं इसकी जानकारी नहीं है। क्योंकि रिपोर्ट दिखाने आए ही नहीं। बच्ची के बारे में कोई अन्य जानकारी भी नहीं दी।
दो महीने बाद पूर्व सीएम ने उठाया मुद्दा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मुद्दे को दो महीने बाद उठाकर पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने रायपुर में लिए प्रेस कॉंन्फ्रेस में कहा है कि बिना एफआईआर दर्ज किए बच्ची की जांच कैसे करा ली। जबकि पालकों ने संबंधित थाने की पुलिस को जानकारी दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आरोप के बाद यह कथित मामला फिर चर्चा में है। लोगों में एक बार फिर यह घटना चर्चा में है। लोग अपने अपने तर्क देकर बात कर रहे हैं। कथित घटना की जानकारी जब पालकों तक पहुंची। तब पालकों ने अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर 2 अगस्त को स्कूल पहुंचे। घटना को लेकर दिनभर हंगामा चला। स्कूल प्राचार्य प्रशांत वशिष्ठ ने लिखित में पैरेट्स को दिया कि बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। फिर पालक शांत होकर लौट गए। (पॉस्को एक्ट की गाइडलाइन के तहत अस्पताल और डॉक्टर का नाम उजागर नहीं किया जा रहा है।)
तब एसपी व स्कूल के प्राचार्य ने यह कहा था
इस मामले को लेकर जिस दिन पालकों ने प्रदर्शन किया, उसी दिन पुलिस कप्तान जितेन्द्र शुक्ला ने पत्रवार्ता लेकर इस तरह की घटना से इनकार किया था। उन्होंने यह तक कहा था कि पैरेट्स ने चिकित्सकीय जांच करवाई थी। फिर भी हमने स्कूल में पुलिस की टीम भेजकर जांच करवाई। बच्ची के पैरेंट्स संतुष्ट हैं और उन्होंने कहा है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं है। डीपीएस स्कूल के प्राचार्य प्रशांत वशिष्ठ ने एक खाकी वर्दी वाले पर साजिशपूर्वक स्कूल को बदमान करने का आरोप लगाया था, लेकिन उसने वर्दीवाला कौन है इसका खुलासा नहीं किया। जब यह मामला एसपी जितेन्द्र शुक्ला तक पहुंचा तब उन्होंने संवेदनशील मामला होने के कारण आईयूसीएडब्ल्यू एएसपी के नेतृत्व में टीम गठित की। पैरेंट्स से पूछताछ की। इसके बाद स्कूल में जाकर जांच की। पूरे सीसीटीवी कैमरे का डीबीआर जब्त कर तकनीकी एक्सपर्ट से उसकी जांच कराई थी।