बुलवाई थी निविदा
नगर निगम ने विभिन्न जोनों के लिए 70 लाख रुपए से अधिक के व्यायाम उपकरण (ओपन जिम और खेलकूद सामग्री) के लिए निविदा बुलवाई थी। निविदा उपरांत सामग्रियों को टुकड़े-टुकड़े में करते हुए 20-20 लाख से कम के प्रस्ताव बनाए गए ताकि जोन स्तर पर इसे स्वीकृत किया जा सके। निगम के अधिकारियों ने सीएसआईडीसी में व्यायाम उपकरण एवं खेलकूद सामग्रियों का रेट कांट्रेक्ट उपलब्ध होने के बावजूद अनियमितता एवं निजी लाभ के लिए निविदा बुलवाई। इसके पीछे मंशा स्थानीय स्तर पर भी निविदा को भौतिक रूप से प्रभावित करने की रही।
नगर निगम ने विभिन्न जोनों के लिए 70 लाख रुपए से अधिक के व्यायाम उपकरण (ओपन जिम और खेलकूद सामग्री) के लिए निविदा बुलवाई थी। निविदा उपरांत सामग्रियों को टुकड़े-टुकड़े में करते हुए 20-20 लाख से कम के प्रस्ताव बनाए गए ताकि जोन स्तर पर इसे स्वीकृत किया जा सके। निगम के अधिकारियों ने सीएसआईडीसी में व्यायाम उपकरण एवं खेलकूद सामग्रियों का रेट कांट्रेक्ट उपलब्ध होने के बावजूद अनियमितता एवं निजी लाभ के लिए निविदा बुलवाई। इसके पीछे मंशा स्थानीय स्तर पर भी निविदा को भौतिक रूप से प्रभावित करने की रही।
अब सवाल उठ रहा है कि
क्या नगर निगम के अधिकारियों को नियम का ज्ञान नहीं था?
इसके पीछे मंशा किसी विशेष को लाभ पहुंचाने का तो नहीं ?
निविदा प्रकाशन में जो खर्च हुआ अब उसकी भरपाई कौन करेगा?
अगर गलती जानबूझकर की गई तो जिम्मेदार कौन है?
क्या नगर निगम के अधिकारियों को नियम का ज्ञान नहीं था?
इसके पीछे मंशा किसी विशेष को लाभ पहुंचाने का तो नहीं ?
निविदा प्रकाशन में जो खर्च हुआ अब उसकी भरपाई कौन करेगा?
अगर गलती जानबूझकर की गई तो जिम्मेदार कौन है?
सीएम ने विभागों को दिए थे निर्देश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल सूत्र अभियान के बीच राज्य सरकार ने भी स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने की नीति अपनाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के लघु उद्योगों में उत्पादित सामग्री के विपणन को प्रोत्साहन देने के लिए सभी विभागों को सीएसआईडीसी के जरिए दर निर्धारित करने कहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल सूत्र अभियान के बीच राज्य सरकार ने भी स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने की नीति अपनाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के लघु उद्योगों में उत्पादित सामग्री के विपणन को प्रोत्साहन देने के लिए सभी विभागों को सीएसआईडीसी के जरिए दर निर्धारित करने कहा था।
शासन का स्पष्ट निर्देश है
शासन के नियमानुसार छग भंडार क्रय नियम-3 में स्पष्ट उल्लेख है कि दरों एवं शर्तों का निर्धारण सीएसआईडीसी द्वारा किया जाएगा तथा विभाग द्वारा क्रय इन दरों एवं शर्तों के अंतर्गत सीधे किया जा सकेगा। अर्थात जिस किसी सामग्री का सीएसआईडीसी द्वारा दर निर्धारण किया गया है, अनिवार्य रूप से पंजीकृत रेट कांट्रेक्ट होल्डर से ही खरीदी की जाए। पूर्व में रेट कांट्रेक्ट की यह अवधि 31 मार्च 2020 तक थी, जिसे बाद में शासन ने बढ़ाकर 31 मई 2020 तक की। निगम ने इस दौरान ही निविदा बुलवाई थी।
शासन के नियमानुसार छग भंडार क्रय नियम-3 में स्पष्ट उल्लेख है कि दरों एवं शर्तों का निर्धारण सीएसआईडीसी द्वारा किया जाएगा तथा विभाग द्वारा क्रय इन दरों एवं शर्तों के अंतर्गत सीधे किया जा सकेगा। अर्थात जिस किसी सामग्री का सीएसआईडीसी द्वारा दर निर्धारण किया गया है, अनिवार्य रूप से पंजीकृत रेट कांट्रेक्ट होल्डर से ही खरीदी की जाए। पूर्व में रेट कांट्रेक्ट की यह अवधि 31 मार्च 2020 तक थी, जिसे बाद में शासन ने बढ़ाकर 31 मई 2020 तक की। निगम ने इस दौरान ही निविदा बुलवाई थी।
जेम से भी नहीं खरीदा, सीधे निविदा बुला ली
भंडार क्रय नियम में साफ है कि जो सामग्री सीएसआईडीसी द्वारा दर निर्धारित नहीं किया किया है, उसे जेम के माध्यम से खरीदा जाए। जेम में भी अगर वह सामग्री नहीं है तब इस संबंध में बनाए गए नियम-4 के तहत निविदा बुलाई जा सकती है।
भंडार क्रय नियम में साफ है कि जो सामग्री सीएसआईडीसी द्वारा दर निर्धारित नहीं किया किया है, उसे जेम के माध्यम से खरीदा जाए। जेम में भी अगर वह सामग्री नहीं है तब इस संबंध में बनाए गए नियम-4 के तहत निविदा बुलाई जा सकती है।
20 प्रतिशत से अधिक दर पर सामग्री खरीदी करने की तैयारी थी बशिष्ठ नारायण मिश्रा, पार्षद नगर पालिक निगम भिलाई ने बताया कि पहले 70 लाख फिर बाद में लगभग 30 लाख कुल 1 करोड़ की निविदा बुलवाई गई थी। सभी सामग्रियों की दर सीएसआईडसी द्वारा निर्धारित दर से लगभग 20 प्रतिशत अधिक आई थी। अर्थाता सीधा-सीधा 20 लाख रुपए का गोलमाल होने वाला था। मैंने संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से सप्रमाण इसकी शिकायत की। इसके बाद निगम के अधिकारियों ने आनन-फानन में निविदा को निरस्त कर दिया। आयुक्त नगर पालिक निगम भिलाई ऋतुराज रघुवंशी ने कहा कि मेरे यहां से ऐसा कुछ नहीं हुआ है। जोन स्तर पर हुआ होगा तो जोन कमिश्रर बताएंगे। उनसे बात कर लीजिए। अमिताभ शर्मा, जोन कमिश्रर, जोन-4 खुर्सीपार ने कहा कि हां कुछ टेक्निकल इश्यु आ गया था, इसलिए टेंडर निरस्त करना पड़ा। अब नया टेंडर प्रोसेस में है।