नगर निगम ने विभिन्न जोनों के लिए 70 लाख रुपए से अधिक के व्यायाम उपकरण (ओपन जिम और खेलकूद सामग्री) के लिए निविदा बुलवाई थी। निविदा उपरांत सामग्रियों को टुकड़े-टुकड़े में करते हुए 20-20 लाख से कम के प्रस्ताव बनाए गए ताकि जोन स्तर पर इसे स्वीकृत किया जा सके। निगम के अधिकारियों ने सीएसआईडीसी में व्यायाम उपकरण एवं खेलकूद सामग्रियों का रेट कांट्रेक्ट उपलब्ध होने के बावजूद अनियमितता एवं निजी लाभ के लिए निविदा बुलवाई। इसके पीछे मंशा स्थानीय स्तर पर भी निविदा को भौतिक रूप से प्रभावित करने की रही।
क्या नगर निगम के अधिकारियों को नियम का ज्ञान नहीं था?
इसके पीछे मंशा किसी विशेष को लाभ पहुंचाने का तो नहीं ?
निविदा प्रकाशन में जो खर्च हुआ अब उसकी भरपाई कौन करेगा?
अगर गलती जानबूझकर की गई तो जिम्मेदार कौन है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल सूत्र अभियान के बीच राज्य सरकार ने भी स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने की नीति अपनाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के लघु उद्योगों में उत्पादित सामग्री के विपणन को प्रोत्साहन देने के लिए सभी विभागों को सीएसआईडीसी के जरिए दर निर्धारित करने कहा था।
शासन के नियमानुसार छग भंडार क्रय नियम-3 में स्पष्ट उल्लेख है कि दरों एवं शर्तों का निर्धारण सीएसआईडीसी द्वारा किया जाएगा तथा विभाग द्वारा क्रय इन दरों एवं शर्तों के अंतर्गत सीधे किया जा सकेगा। अर्थात जिस किसी सामग्री का सीएसआईडीसी द्वारा दर निर्धारण किया गया है, अनिवार्य रूप से पंजीकृत रेट कांट्रेक्ट होल्डर से ही खरीदी की जाए। पूर्व में रेट कांट्रेक्ट की यह अवधि 31 मार्च 2020 तक थी, जिसे बाद में शासन ने बढ़ाकर 31 मई 2020 तक की। निगम ने इस दौरान ही निविदा बुलवाई थी।
भंडार क्रय नियम में साफ है कि जो सामग्री सीएसआईडीसी द्वारा दर निर्धारित नहीं किया किया है, उसे जेम के माध्यम से खरीदा जाए। जेम में भी अगर वह सामग्री नहीं है तब इस संबंध में बनाए गए नियम-4 के तहत निविदा बुलाई जा सकती है।