रावघाट क्षेत्र के माओवाद प्रभावित गांवों में शांतिपूर्ण मतदान करान के बाद एसएसबी के 28 बटालियन के एक हजार से ज्यादा जवानों और अधिकारियों ने अपने मत का उपयोग किया। लोकतंत्र के पर्व उत्साह बटालियन में देखते ही बन रहा था। कॉम्बेट यूनिफार्म में एक जवान मतदान केन्द्र के दरवाजे आईकार्ड देख कर पोलिंग रूम में जवानों को इंट्री दे रहा था , तो बाकी जवान बाहर कतार में बैठकर अपनी पारी का इंतजार कर रहे थे। हॉल के अंदर कमांडेंट खुद सारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे ताकि कोई दिक्कत ना हो। ई-वोटिंग सिस्टम आने के बाद सुरक्षाकर्मियों के लिए यह पहला मौका था कि वे ऑनड्युटी अपने लोकसभा क्षेत्र के लिए वोट कर पाए।
उंगली पर लगाया निशान,ली सेल्फी
इस वोटिंग बूथ में खास बात यह रही कि यहां वोटिंग के दौरान लगाई जाने वाली अमिट स्याही तो नहीं थी, लेकिन मार्कर पेन से सभी की ऊंगलियों में निशान लगाया गया ताकि उन्हें भी यह महसूस हो कि वाकई उन्होंने वोट देकर देश के प्रति अपनी दूसरी जिम्मेदारी भी निभाई। उंगलियों पर लगे इस निशान के बाद जवानों ने यहां सेल्फी जोन में सेल्फी लेकर इस पल को यादगार बनाया।
पांच सीओबी में भी वोटिंग
अंतागढ़ स्थित एसएसबी के 28 बटालियन हेडक्वार्टर सहित कैंप ऑपरेशन बेस(सीओबी) मासबरस, गोंडबिनापाल, तुमापाल, कोसरोंडा और भैयासाल्हेभाठ में भी जवानों ने इसी तरह वोटिंग की। यहां कंपनी कंमाडर्स ने जवानों के बैलेंट पेपर डाउनलोड कर उन्हें दिए।
पहली बार ई-वोटिंग
मुख्य निवार्चन आयोग भारत सरकार ने पहली बार ऐसी व्यवस्था की है कि इलेक्ट्रीकल ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम से सेना सहित पैरामिलिट्री के जवान और अधिकारी ऑन ड्युटी रहते हुए पसंदीदा प्रत्याशी को दे सकें। छत्तीसगढ़ में तैनात बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ के जवानों को इसका फायदा मिला। अधिकारियों का कहना है कि पहली बार निर्वाचन आयोग ने सेना और सुरक्षा बलों में तैनात लोगों के लिए बेहतर रास्ता निकाला। इससे पहले यह जवान डाकमतपत्र का इस्तेमाल करते थे, जिससे अधिकांश के डाकमत पत्र नहीं पहुंच पाते थे। पर इस इलेक्ट्रीकल ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम यानी ई-वोटिंग के जरिए वोट देना काफी आसान रहा।
इस वोटिंग बूथ में खास बात यह रही कि यहां वोटिंग के दौरान लगाई जाने वाली अमिट स्याही तो नहीं थी, लेकिन मार्कर पेन से सभी की ऊंगलियों में निशान लगाया गया ताकि उन्हें भी यह महसूस हो कि वाकई उन्होंने वोट देकर देश के प्रति अपनी दूसरी जिम्मेदारी भी निभाई। उंगलियों पर लगे इस निशान के बाद जवानों ने यहां सेल्फी जोन में सेल्फी लेकर इस पल को यादगार बनाया।
पांच सीओबी में भी वोटिंग
अंतागढ़ स्थित एसएसबी के 28 बटालियन हेडक्वार्टर सहित कैंप ऑपरेशन बेस(सीओबी) मासबरस, गोंडबिनापाल, तुमापाल, कोसरोंडा और भैयासाल्हेभाठ में भी जवानों ने इसी तरह वोटिंग की। यहां कंपनी कंमाडर्स ने जवानों के बैलेंट पेपर डाउनलोड कर उन्हें दिए।
पहली बार ई-वोटिंग
मुख्य निवार्चन आयोग भारत सरकार ने पहली बार ऐसी व्यवस्था की है कि इलेक्ट्रीकल ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम से सेना सहित पैरामिलिट्री के जवान और अधिकारी ऑन ड्युटी रहते हुए पसंदीदा प्रत्याशी को दे सकें। छत्तीसगढ़ में तैनात बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ के जवानों को इसका फायदा मिला। अधिकारियों का कहना है कि पहली बार निर्वाचन आयोग ने सेना और सुरक्षा बलों में तैनात लोगों के लिए बेहतर रास्ता निकाला। इससे पहले यह जवान डाकमतपत्र का इस्तेमाल करते थे, जिससे अधिकांश के डाकमत पत्र नहीं पहुंच पाते थे। पर इस इलेक्ट्रीकल ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम यानी ई-वोटिंग के जरिए वोट देना काफी आसान रहा।
जानिए ऐसे हुई वोटिंग
ई-वोटिंग के लिए हेडक्वार्टर के उच्च अधिकारी या बटालियन के कमांडेंट के पास एक पासवर्ड आया था । जिससे कंप्यूटर स्क्रिन पर लोकसभा के हिसाब से बैलेट पेपर ऑन लाइन डाउनलोड किए गए। वोटर्स ने मतपत्र में अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के आगे निशान लगाया और उस बैलेट पेपर को वे एक लिफाफे में सीलबंद किया। इसके बाद उन्हें एक डिक्येरशन फार्म दिया गया। इस फार्म में फोर्स के उच्चाधिकारी ने वोटर्स की पहचान की।उसके बाद इन दोनों लिफाफे को एक बड़े लिफाफे में सील कर संबंधित लोकसभा क्षेत्र के जिला निवार्चन अधिकारी के पते पर पोस्ट किया गया। इस ई-बैलेट पेपर के जरिए वोटिंग करने के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई थी। जिसकी वजह से फोर्स में अधिकारी अपने हिसाब से तारीख तय कर वोटिंग करा रहे हैं।
अब मिला मत का अधिकार
एसएसबी 28 बटालियन के कमांडेंट नीरज चंद नेबताया कि अब तक पैरामिलिट्री फोर्स हर राज्य में चुनाव कराने जाती थी,लेकिन जवानों के मन में एकबात रह जाती थी कि आखिर उसके वोट का अधिकार कहां है? ई-वोटिंग सिस्टम ने फोर्स के लोगों को भी ऑन ड्युटी वोटिंग का अधिकार मिला। हमारी बटालियन में कुल 1078 जवानों और अधिकारियों ने अपने मत का उपयोग किया।
ई-वोटिंग के लिए हेडक्वार्टर के उच्च अधिकारी या बटालियन के कमांडेंट के पास एक पासवर्ड आया था । जिससे कंप्यूटर स्क्रिन पर लोकसभा के हिसाब से बैलेट पेपर ऑन लाइन डाउनलोड किए गए। वोटर्स ने मतपत्र में अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के आगे निशान लगाया और उस बैलेट पेपर को वे एक लिफाफे में सीलबंद किया। इसके बाद उन्हें एक डिक्येरशन फार्म दिया गया। इस फार्म में फोर्स के उच्चाधिकारी ने वोटर्स की पहचान की।उसके बाद इन दोनों लिफाफे को एक बड़े लिफाफे में सील कर संबंधित लोकसभा क्षेत्र के जिला निवार्चन अधिकारी के पते पर पोस्ट किया गया। इस ई-बैलेट पेपर के जरिए वोटिंग करने के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई थी। जिसकी वजह से फोर्स में अधिकारी अपने हिसाब से तारीख तय कर वोटिंग करा रहे हैं।
अब मिला मत का अधिकार
एसएसबी 28 बटालियन के कमांडेंट नीरज चंद नेबताया कि अब तक पैरामिलिट्री फोर्स हर राज्य में चुनाव कराने जाती थी,लेकिन जवानों के मन में एकबात रह जाती थी कि आखिर उसके वोट का अधिकार कहां है? ई-वोटिंग सिस्टम ने फोर्स के लोगों को भी ऑन ड्युटी वोटिंग का अधिकार मिला। हमारी बटालियन में कुल 1078 जवानों और अधिकारियों ने अपने मत का उपयोग किया।