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नौतपा से पहले शनि देव हुए वक्री, 143 दिनों तक जानिए किस राशि पर पड़ेगा कैसा असर

Nautapa in Chhattisgarh: 25 मई से नौतपा शुरू हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में नौतपा में सूरज का खूब तपना मानसून के लिए अच्छा माना जाता है

भिलाईMay 24, 2021 / 12:20 pm

Dakshi Sahu

नौतपा से पहले शनि देव हुए वक्री, 143 दिनों तक जानिए किस राशि पर पड़ेगा कैसा असर

भिलाई. इस बार नौपता में सूरज की तल्खी शायद कम ही नजर आएगी। क्योंकि बंगाल की खाड़ी से आने वाले तूफान का असर मई के आखिरी सप्ताह में छत्तीसगढ़ में भी नजर आ रहा है। मंगलवार यानी 25 मई से नौतपा शुरू हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में नौतपा में सूरज का खूब तपना मानसून के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन इस बार नौतपा के दौरान बारिश की संभावना है। हालांकि मौसम विभाग नौतपा को नहीं मानता, लेकिन मई के अंतिम सप्ताह में तापमान में वृद्धि की संभावना से वह भी इंकार नहीं करता। बस इसके पीछे उनका तर्क वैज्ञानिक है।
क्षीण हो जाते हैं चंद्र के शीतल प्रभाव
ज्योतिषि शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो इससे वह उस नक्षत्र को अपने पूर्ण प्रभाव में ले लेता है। जिस कारण चंद्र के शीतल प्रभाव क्षीण हो जाते हैं। इसका प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है। यानी की पृथ्वी पर शीतलता प्राप्त नहीं हो पाती। इस कारण ताप अधिक बढ़ जाता है।
खूब तपेगा तो अच्छी होगी बारिश
पंडि़त विनोद चौबे ने बताया कि नौतपा में सूरज का खूब तपना ही शुभ माना जाता है। इस बार 25 मई मंगलवार को सूर्य चंद्र के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। तब से लेकर 2 जून तक 9 दिनों में रोजाना अलग-अलग नक्षत्र आएंगे और इस दौरान हर नक्षत्र में सूर्य तपेगा। इन नक्षत्रों में जिसमें आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अखिलेशा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा नक्षत्र शामिल है। यदि इन नौ नक्षत्र में सूरज खूब तपा तो आने वाले मानसून में इन सभी नक्षत्रों में अच्छी बारिश होगी।
मौसम विभाग का वैज्ञानिक तर्क
नौतपा को मौसम विज्ञान नहीं मानता। मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा का मानना है कि मई के आखिरी सप्ताह में सूर्य धरती के नजदीक होता है और उसकी किरणें सीधे 90 डिग्री के अंश में धरती पर पहुंचती है। सूर्य 21 जून के करीब अक्षांश रेखा में जब 23 डिग्री कोण तक पहुंचेगा तब धूप की चुभन कम होगी। मौसम विज्ञान के अनुसार मई के आखिरी सप्ताह में सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती हैं। इस कारण तापमान बढ़ जाता है और अधिक गर्मी पड़ती है। इसके कारण मैदानी इलाकों में निम्न दबाव का सिस्टम बनता है जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। इस कारण हवाओं का रूख अच्छी बारिश के संकेत देता है।
आज से शनि हुए वक्री
रविवार से शनि देव वक्री हो गए हैं। आज से 143 दिनों तक यानि 11 अक्टूबर तक शनि अपनी राशि मकर में रहेंगे। उनकी वक्री दृष्टि का अलग-अलग राशि और ग्रहों पर भी असर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र में शनि का वक्री होना अच्छा नहीं माना जाता। इस बार शनि के वक्री होने पर धनु, मकर, कुंभ राशि पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। जबकि मिथुन और तुला राशि भी प्रभावित होगी। ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह को शांत रखने के लिए शनि स्त्रोत का पाठ, महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ, शनि के वैदिक एवं बीजोक्त जाप करना चाहिए।

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