भिलाई

मिनी माता पुरस्कार से सम्मानित रुक्मणी चतुर्वेदी की आर्थिक दशा खराब, 75 वर्षीय बुजुर्ग पिता के भरोसे चल रही जिंदगी

CG News : छत्तीसगढ़ और देश में कला के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाने वाली 49 वर्षीय रुक्मणी चतुर्वेदी गुमनामी में जिंदगी गुजार रही हैं।

भिलाईOct 13, 2023 / 10:29 am

Kanakdurga jha

मिनी माता पुरस्कार से सम्मानित रुक्मणी चतुर्वेदी की आर्थिक दशा खराब

भिलाई। CG News : छत्तीसगढ़ और देश में कला के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाने वाली 49 वर्षीय रुक्मणी चतुर्वेदी गुमनामी में जिंदगी गुजार रही हैं। वह रिसाली गांव में अपने 75 वर्षीय पिता और 70 वर्षीय मां के भरोसे रहती है। 1 सितंबर को अचानक तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई। शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि आहार नली में सूजन है। डायबिटीज है लेकिन नियमित इंसुलिन नहीं लेने के कारण यह अनकंट्रोल हो गया है। आईसीयू और वार्ड में तीन बार शिफ्ट करने के बाद फिलहाल घर लौटी हैं। आर्थिक हालात इतने खराब हैं, कि उनके पास इंसुलिन के लिए तक पैसे नहीं है। जरूरत के वक्त उसके साथ न कोई सरकारी मदद पहुंच रही है और न ही अधिकारी। इन्हें पेंशन भी नहीं मिलती।
यह भी पढ़ें : Bastar Dussehra festival 2023 : नौ दिनों तक गड्ढे में बैठकर करेंगे साधना तब बनेंगे जोगी

मिनीमाता समेत कई सम्मान मिले हैं

रुक्मणी 55 हजार महिलाओं को अब तक प्रशिक्षण दे चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने नारी शक्ति के लिए सम्मानित किया है। इसके लिए 2019 में मिनीमाता सम्मान भी मिला है। सम्मान के साथ 2 लाख रुपए का चेक भी दिया गया था। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने महिला शक्ति सम्मान से 5 मार्च 2023 को सम्मानित किया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई दिल्ली में कबीर कोहिनूर अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं।
यह भी पढ़ें : मनाबार- जरती के बीच फिर से लैंडस्लाइड, तीन घंटे तक प्रभावित रही ट्रेन


धुरा शिल्प कला पढ़ रहे 7वीं के बच्चों को

रुक्मणी चतुर्वेदी ने वेस्ट मटेरियल का बेहतर इस्तेमाल कर उससे सुंदर कलाकृतियां बनाई हैं। इसका प्रशिक्षण बच्चों को दिया गया। यह शिल्पकला इतनी पसंद की गई कि उसे छत्तीसगढ़ सरकार ने क्लास-7 के 17 नंबर चेप्टर में शामिल किया है। अभी भी बच्चों को इसे पढ़ाया जाता है।
यह भी पढ़ें : CG Election 2023 : चुनावी समोसे के लिए देने होंगे 2 रुपए ज्यादा, स्पेशल थाली भी 60 रुपए महंगी


33 साल से चला रही प्रौढ़ शिक्षा

रुक्मणी ने बताया कि वह 1990 से प्रौढ़ शिक्षा पर काम कर रही हैं। उनको नि:शुल्क प्रशिक्षण देकर, रोजगार के लिए रास्ता खोलने का काम कर रही हैं। इसी तरह से कला के क्षेत्र में उन्होंने समाज के लिए काफी काम किया है। रुक्मणी सहायता समूह बनाकर सिलाई, कढ़ाई, गोदना, जूट शिल्प का प्रशिक्षण देती हैं। धुरा शिल्प, केले के पत्ते से चित्रकारी सिखा रही हैं।
यह भी पढ़ें : Durga Puja 2023 : दुर्गा उत्सव में दिखेगी देश-प्रदेश के धार्मिक स्थलों की झलक, केदारनाथ मंदिर व शीश महल के पंडाल में विराजेगी मां दुर्गा


आर्थिक तंगी में गुजर रहे दिन
रुक्मणी ने बताया कि उनकी आय का कोई जरिया नहीं है। पति की 2014 में मौत हो चुकी है। बच्चे भी जीवित नहीं रहे। अब माता-पिता के भरोसे जीवन कट रहा है। वे बुजुर्ग हैं और मजदूरी करते हैं। बीमार हो जाने से परिवार के ऊपर आर्थिक संकट आ गया है। रुक्मणी ने यह भी बताया कि चिन्हारी योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवा चुकी हैं लेकिन न तो पेंशन मिल रही है और न ही कोई दूसरी सरकारी सुविधा।

Hindi News / Bhilai / मिनी माता पुरस्कार से सम्मानित रुक्मणी चतुर्वेदी की आर्थिक दशा खराब, 75 वर्षीय बुजुर्ग पिता के भरोसे चल रही जिंदगी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.