बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कवि सुरेंद्र दुबे पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हैं। सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं। वह कई मंचों और टेलीविजन शो पर दिखाई दिए हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथरसी पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं। उनका राजभाषा आयोग के सचिव का कार्यकाल अब पूरा हो गया है। उनका राजनीति के आना कई मायनों में अहम साबित हो सकता है।
डॉ सुरेन्द्र दुबे के भाजपा प्रवेश की चर्चा कई दिनों से चल रही थी। उनके पार्टी में प्रवेश के बाद इस बात को भी बल मिलने लगा है कि सत्ताधारी पार्टी इस बार कई विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरों पर दांव लगाएगी। उनके समर्थक और पार्टी के रणनीतिकार उन्हें बेमेतरा व दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के संभावित दावेदार के रूप में भी देख रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि दुर्ग विस सीट हेमचंद यादव के निधन के बाद खाली हो गया है ऐसे में पार्टी डॉ. दुबे जैसे नए चेहरे पर दांव खेल सकती है। वहीं बेमेतरा उनका गृह जिला भी है ऐसे में पार्टी प्रवेश के बाद उनका पहला दावा बेमेतरा सीट पर भी बनता है।