भिलाई

डिजिटल इंडिया का कमाल, स्मार्ट क्लास के प्रोजेक्टर फेल, टीवी ने दिया धोखा, मोबाइल से सुनाई PM मोदी की बात

परीक्षा को उत्सव के रूप में मनाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चर्चा को लाइव दिखाने जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

भिलाईFeb 17, 2018 / 10:37 am

Dakshi Sahu

भिलाई. परीक्षा को उत्सव के रूप में मनाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चर्चा को लाइव दिखाने जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। विभाग ने 15 दिन पहले ही इसकी तैयारी करने कहा था पर फिर भी आखिरी वक्त में कई स्कूलों में दिक्कतें हुई। शहरी क्षेत्र के स्कूलों का हाल यह था कि टीवी तो था मगर चला नहीं। जहां टीवी नहीं था वहां शिक्षक रेडियो की बजाए कार्यक्रम मोबाइल पर बच्चों को सुनाते रहे।
शिक्षा विभाग ने जिले के सभी मिडिल और हायर सेकंडरी स्कूलों में इस कार्यक्रम को दिखाने का दावा किया। जबकि हकीकत यह है कि कुछ स्कूलों में बिजली बंद थी तो कुछ प्रधानपाठक ने इस कार्यक्रम को दिखाने कोई पहल ही नहीं की। गांवों के स्कूलों में बार-बार बिजली की आंख मिचौली से गुरुजी परेशान रहे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद डीईओ कार्यालय ने पूरे जिले के निजी और सरकारी स्कूलों में शत-प्रतिशत उपस्थिति के आंकड़ों के साथ अपनी रिपोर्ट भी भेज दी।
शांतिनगर में भी मोबाइल का सहारा
शासकीय मिडिल स्कूल शांति नगर में शिक्षकों ने कॉममॉस टेबलेट से कार्यक्रम को लाइव दिखाने का प्रयास किया पर नेटवर्क ने काम ही नहीं किया। यहां गिनती के करीब 20 छात्रों को यह कार्यक्रम मोबाइल के जरिए ही सुनाया गया।
यहां रही बेहतर व्यवस्था
भिलाई और दुर्ग के कुछ स्कूलों में काफी अच्छी व्यवस्था की गई थी, जिसमें दुर्ग के जेआरडी स्कूल में पांच जगह स्क्रिन लगाई गई थी हायर सेकंडरी और मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए अलग-अलग व्यवस्था थी। ऐसा ही इंतजाम वैशालीनगर कन्या शाला मेंं था।
स्मार्ट क्लास में मिले प्रोजेक्टर का बखूबी इस्तेमाल कर मल्टीपर्पस हॉल में सिनेमा हॉल जैसी बड़ी स्क्रिन के माध्यम से छात्राओं ने इस कार्यक्रम को देखा। सुपेला स्थित शासकीय उमा शाला में भी प्राचार्य ने प्रोजक्टर का इंतजाम बाहर से किया और बच्चों ने बड़ी स्क्रिन में इस कार्यक्रम को देखा। यहां प्राचार्य राजेश चटर्जी ने कार्यक्रम के बाद बाल संसद का आयोजन कर बच्चों से फीडबेक भी लिया।
फाइल फैक्ट
जिले में सरकारी स्कूल- 510
जिले के निजी स्कूल-386
कुल बच्चों ने देखा कार्यक्रम- 1 लाख 19 हजार 626
टीवी से माध्यम से कार्यक्रम- 852
रेडियो के माध्यम से कार्यक्रम- 44 (सिर्फ मिडिल स्कूल)

टीवी तो था पर केबल ने दे दिया धोखा
शासकीय मिडिल स्कूल रामनगर में शिक्षकों ने टीवी का जुगाड़ तो कर लिया पर केबल ने धोखा दे दिया। यहां शिक्षक ने एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ में माइक रख बच्चों को यह कार्यक्रम सुनाया। सेक्टर-6 के शासकीय उमा शाला में कंप्यूटर स्क्रीन को सीधे डीटीएच से जोड़ा गया। आवाज कम थी इसलिए शिक्षकों ने साउंड सिस्टम को शुरू कर माइक को कंप्यूटर स्क्रीन के पास एक जग में रख दिया ताकि बरामदे में दोनों और बैठे बच्चों को आवाज सुनाई दे।
प्रोजेक्टर काम नहीं किया मोबाइल में दिखाया
सुपेला के शास. कन्या उमा शाला में कार्यक्रम को सुनाने की व्यवस्था की थी। पहले कमरे में प्रोजक्टर के जरिए कार्यक्रम दिखाया जाना था, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने के आधे घंटे बाद भी वह शुरू नहीं हो सका। वहीं दूसरे कमरे में प्राचार्य ने मोबाइल को साउंड बॉक्स से जोड़कर बच्चों को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को दिखाया। सेक्टर 4 स्थित मिडिल स्कूल बोरियागेट में रेडियो से ही बच्चों ने प्रधानमंत्री की बात सुनी। यहां गिनती के बच्चे थे और शिक्षकों ने भी खानापूर्ति की। बात सुनाने के लिए रेडियो का इंतजाम जरूर किया।
सुपेला स्कूल में नहीं दिखाया
डीईओ के आदेश के बावजूद भी सुपेला स्थित कन्या पूर्व माध्यमिक शाला की बच्चियां यह कार्यक्रम को नहीं देख पाईं। प्रधानपाठक अर्जुन प्रसाद राय ने अपनी ओर से कार्यक्रम को दिखाने कोई प्रयास नहीं किया। जबकि उसी कैंपस में हाईस्कूल की छात्राएं कार्यक्रम देख रही थी। प्रधानपाठक ने कहा कि उनके पास न तो जगह है और न ही सुविधा। इसलिए उन्होंने यह कार्यक्रम नहीं दिखाया।
बच्चों के मन से परीक्षा का डर भगाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ से भी सवाल पूछा गया। दुर्ग के केंद्रीय विद्यालय के छात्र रंजन मिरी ने पूछा कि स्किल इंडिया और शाइनिंग इंडिया के तहत चल रहे टैलेंट हंट जैसे प्रोग्राम के बीच स्टूडेंट्स कन्फ्यूज है कि वे को-करिकूलम एक्टिविटी में हिस्सा लें या एकेडमिक में बेस्ट करें? इसका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रोचक ढंग से जवाब दिया कि छात्रों को दोनों ही एक्टिविटी को साथ लेकर चलना होगा।
इसके लिए लचीला प्लान बनाना होगा। जिसमे एकेडमिक और को-करिकूलम एक्टीविटी दोनों के लिए ही बराबर समय निकल सकें। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की नैसर्गिक प्रतिभा निखरेगी तो इससे राष्ट्र का ही फायदा होगा। रंजन ने कहा कि उनके जवाब से वह पूरी तरह संतुष्ट है। वह अब अपनी प्लानिंग कर पढ़ाई और पसंदीदा एक्टीविटी के लिए समय निकालेगा।

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