आईआईटी भिलाई का यह सॉफ्टवेयर साइबर अपराध के पैटर्न का एनालिसिस करेगा। यह सॉफ्टवेयर यह भी बता देगा कि दो लोगों के बीच हो रही बातों की टाइमिंग कितनी है। फ्रॉड कॉल को डिटेक्ट करने के साथ ही यह सॉफ्टवेयर पुलिस को ज्यादा समय तक हो रही बातचीत को भी मॉनीटर कर सकेगा। आईआईटी भिलाई ने सॉफ्टवेयर पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ पुलिस से पूर्व में घटित हो चुकी साइबर ठगी की घटनाओं का ब्योरा मांगा गया है। इसको लेकर आईआईटी भिलाई और छत्तीसगढ़ पुलिस के बीच एमओयू किया गया है। आईआईटी अगले कुछ महीनों में इस सॉटवेयर को तैयार कर छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप देगा।
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बाद में पुलिस फीड करेगी डाटा
आईआईटी भिलाई प्रबंधन ने बताया कि शुरुआती डाटा के हिसाब से आईआईटी सॉफ्टवेयर में साइबर ठगी को रोकने थ्रेट डिटेक्शन का एल्गोरिदम डेवलप करेगा। इसके बाद पुलिस को दिया जाएगा, जिसमें वे प्रदेश में होने वाली तमाम घटनाएं, देश में साइबर ठगी के मामलों का पैटर्न सरीखी जानकारियां अपडेट करेंगी। एक सॉफ्टवेयर में तमाम तरह के अपराध का ब्योरा होगा। सॉफ्टवेयर की मदद से थर्ड पार्टी ऐप्स व उससे होने वाले लेनदेन पर भी नजर रखना आसान हो सकेगा। इस सॉफ्टवेयर बेस्ड ऐप को लोग गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकेंगे।ऐप इंस्टाल करने के बाद फोन साटवेयर से जुड़ जाएगा
यह सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से काम करेगा। इसके जरिए प्रदेश में आने वाले मोबाइल कॉल, स्काइप, वॉट्सऐप जैसे सभी प्लेटफार्म जुड़ेेंगे। सेल्युलर कंपनियों की भी इसमें मदद ली जाएगी। सॉफ्टवेयर थ्रेट डिटेक्शन टूल रहेगा। जिसकी मदद से साइबर ठगी की घटनाओं को वक्त रहते रोका जा सकेगा। आईआईटी प्रबंधन ने बताया कि, जिस तरह छत्तीसगढ़ पुलिस इस सॉफ्टवेयर का नियंत्रण रखेगी। ठीक वैसे ही आम जनता के लिए आईआईटी इसी सॉफ्टवेयर से सिंक्रनाइज ऐप तैयार होगा। इसे लोगों को अपने मोबाइल में इंस्टॉल करना होगा। ऐप डालने के बाद फोन आईआईटी में तैयार सॉफ्टवेयर से जुड़ जाएगा। अब फ्रॉड कॉल आने पर आईआईटी का यह विशेष ऐप पहले से फीड पैटर्न के आधार पर कॉल को नहीं उठाने की सलाह देगा। इसी तरह यदि बातचीत लंबी चल रही है और सॉफ्टवेयर में फीड पैटर्न ने मिलान होता है तो ऐप इस फ्रॉड को डिटेक्ट कर लेगा। बातचीत के दौरान ही ऐप पर बार-बार फ्रॉड डिटेक्शन के पॉप अप मैसेज आएंगे।
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सॉफ्टवेयर के जरिए साइबर फ्रॉड के हाई रिस्क टारगेट को आसानी से पहचाना जा सकेगा। सॉफ्टवेयर सभी तथ्यों को एनालिसिस करने के बाद बताएगा कि किस तरह के साइबर फ्रॉड किया जा रहा है। फ्रॉड पैटर्न के जरिए किस ग्रुप के लोगों को ठग आसानी से फंसा सकते हैं। पैटर्न समझ में आने के बाद पुलिस उस दिशा में लोगों को साइबर फ्रॉड के बारे में जागरुक कर सकेगी। अभी ठग हर कुछ दिनों में अपना पैटर्न बदलकर नई तरह से ठगी को अंजाम देते हैं। देशभर में यह घटनाएं चरम पर हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में इसकी शिकायत नहीं होती। इस सॉफ्टवेयर के बाद पैटर्न का एनालिसिस कर अपराधों को कम किया जा सकेगा।
छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी के मामलों को रोकने आईआईटी भिलाई विशेष सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है। इसके जरिए ठगी के पैटर्न का एनालिसिस आसान हो जाएगा। इससे पुलिस साइबर फ्रॉड के मामलों को बहुत हद तक रोक सकेगी। पुलिस और आईआईटी में इस संबंध में एमओयू किया गया है। – डॉ. राजीव प्रकाशडायरेक्टर, आईआईटी भिलाई