बच गए 45 लाख रुपए
छत्तीसगढ़ के भिलाई में बैंक कर्मियों की सूझबूझ से पिछले महीने मां-बेटे 45 लाख रुपए की ठगी होने से बचे। रिसाली में रहने वाले मां-बेटे को मुंबई के क्राइम ब्रांच और सीबीआइ के नाम पर फोन कर डराया गया।
कहा गया कि उनके बैंक खाते से मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। गिरफ्तारी की धमकी देकर बेटे के बैंक खाते की जानकारी ले ली लेकिन उसमें पैसे नहीं थे। मां के पास 39 लाख की एफडी और छह लाख जमा थे। साइबर ठगों ने उन्हें बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा। पांच घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। बैंक जाकर महिला ने पहले एफडी तुड़वाई फिर छह लाख रुपए निकाले। आरटीजीएस करने के लिए फॉर्म मांगा तो बैंककर्मियों को संदेह हुआ।
एफडी तुड़वाने पर हुई ठगी
पूछने पर बाहर चली गई और लौट कर आई तो बताया कि जमीन खरीदनी है। बैंक कर्मियों ने चेक किया तो असम के सिलचर में आइसीआइसीआइ बैंक का खाता था। दो घंटे तक समझाने के बाद मां-बेटे ने बताया कि सीबीआइ वाले पैसे मांग रहे हैं। बैंक कर्मियों ने बताया कि आप लोग साइबर ठगों के झांसे में आ गए हैं। फिर से एफडी की गई और पैसे जमा हुए। रिसाली एसबीआइ ब्रांच मैनेजर विनीत नायर ने बताया कि स्टाफ को संदेह हो रहा था कि इतनी बड़ी रकम क्यों ट्रांसफर कर रही है? बार-बार पूछने पर सच्चाई का पता चला और ठगी का शिकार होने से बच गई।