सेक्टर-9 के बर्न यूनिट में देश के बड़े से बड़े अस्पताल में जिस स्तर का इलाज होता है, उस स्तर का उपचार किया जाता है। संयंत्र में जिस वक्त कार्मिक झुलस गए थे, उस समय दिल्ली से पहुंचे विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने, यहां के इलाज को बेहतर बताया था।
ऑन कॉल चिकित्सकों का पैनल तैयार
सेल-बीएसपी प्रबंधन की ओर से वर्तमान में 50 डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। इसमें बीएसपी से रिटायर हो चुके बहुत से स्पेशलिस्ट डॉक्टर को भी वापस लाया जा रहा है। सेक्टर-9 अस्पताल में डॉक्टरों का एक पैनल भी तैयार किया जा रहा है, जो ऑन कॉल उपलब्ध हो सके। इस व्यवस्था से डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी।
22.50 करोड़ की अत्याधुनिक एमआरआई मशीन लाने की तैयारी
सेक्टर 9 हॉस्पिटल को 22 .50 करोड़ की अत्याधुनिक 3 डी एमआरआई मशीन जल्द मिलने वाली है। इस मशीन से 15 मिनट में एमआरआई किया जा सकेगा। इससे एमआरआई में लगने वाली वेटिंग को खत्म करने में मदद मिलेगी।
अब सेक्टर-9 में आर्थराइटिस का उपचार भी संभव
सेक्टर-9 अस्पताल में ऑर्थराइटिस के इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक, परामर्श, मार्गदर्शन सहित विशेष सुविधाएं उपलब्ध करवाया गया है। यहां के चिकित्सकों ने बताया कि आर्थराइटिस, को आसानी से सही दवा, व्यायाम, उचित जीवनशैली, स्वास्थ्यवर्धक पोषक आहार, शारीरिक वजन पर नियंत्रण, सही समय पर उपचार, चिकित्सकीय मार्गदर्शन और उचित प्रबंधन से ना केवल काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। बल्कि पूरी तरह ठीक भी कर सकते हैं। विशेष प्रकरणों में आवश्यक हो तो शल्य चिकित्सा से इस पर पूरी तरह से नियंत्रण रखा जा सकता है।
पुख्ता इंतजाम है ऑक्सीजन की
सेक्टर-9 में मरीजों तक ऑक्सीजन सप्लाई करने की व्यवस्था पुख्ता है। यहां लगे बड़े सिलेंडर की क्षमता ११ टन लिक्विड ऑक्सीजन की है। इसमें ऑक्सीजन खत्म भी हो जाए, तो पैरलर व्यवस्था की गई है। जिसमें 100 सिलेंडर तैयार रखे गए हैं। इसके अलावा और 300 सिलेंडर है। ऑक्सीजन, नाइट्रस ऑक्साइड, एयर व वेक्यूम की कमी या सप्लाई में किसी तरह की दिक्कत आने पर अलर्ट करने एक कक्ष में व्यवस्था की गई है। अलर्ट कक्ष में अगर 15 मिनट तक कोई व्यक्ति नहीं होता है, तो हॉस्पिटल प्रबंधन को सूचना मिल जाती है। इस तरह उक्त कक्ष में 24 घंटे कर्मचारी मौजूद रहते हैं।
निजी और नियमित चिकित्सकों का अलग-अलग हो पैनल
डॉक्टर अनुपम लाल, हड्डी रोग विशेषज्ञ ने बताया कि सेक्टर-9 अस्पताल में निजी और रिटायर्ड चिकित्सकों को पैनल में शामिल करने की तैयारी चल रही है। इस तरह की व्यवस्था में निजी और नियमित का अलग-अलग पैनल हो। इससे दोनों ही स्वतंत्र होकर काम कर सकेंगे। इसके साथ-साथ दोनों का आपस में किसी तरह से स्वाभिमान नहीं टकराएगा। इसका लाभ मरीजों को बहुत अधिक मिलेगा।