दिलीप बताते हैं कि उन्हें 12 वीं तक पता ही नहीं था कि यूपीएससी और पीएससी जैसे भी कोई एग्जाम होते हैं। जब उन्होंने दुर्ग के साइंस कॉलेज में दाखिला लेकर बीएससी की पढ़ाई शुरू की, तो कॉलेज में आने वाले अधिकारियों को देखा और तब प्रोफेसर्स ने बताया कि अधिकारी बनने क्या करना होता है। बस उसी दिन ठान लिया कि वे अधिकारी बनकर रहेंगे।
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परीक्षा की तैयारी के लिए लाइब्रेरी में किताबों और मोबाइल से ऑनलाइन लेक्चर और नोट्स की मदद से फर्स्ट ईयर से ही परीक्षा की तैयारी शुरू की। फाइनल आते-आते पहली बार पीएससी का फार्म भरा। पहले प्री, फिर मेंस और इंटरव्यू के बाद जब मैरिट लिस्ट आई तो उनका चयन डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट पर हुआ था। ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है, पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं।चार बातों ने बदली जिंदगी
दिलीप का मानना है कि इन चार बातों ने उनकी जिंदगी की दिशा बदली। हमेशा ऊंचे सपने देखना, सपनों के लिए नॉलेज लेते रहना, खुद पर विश्वास और पिछली गलतियों को स्वीकार उसे सुधारना.. इस पर अमल कर वे आज पहले ही प्रयास में अपने सपनों को पूरा कर पाए। दूसरी कहानी: राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी की लुकेश्वरी साहू अभाव और आर्थिक दिक्कत के बावजूद अपने जज्बे के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा रही है। लुकेश्वरी के पिता की मृत्यु तब हो गई थी, जब वह 2 साल की थीं। जिससे उसके राष्टीय स्तर के वेटलिफ्टर भी हरिकिशन के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई और उन्हें खेल छोड़ना पड़ा। परिवार की जिम्मेदारी उठाने के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए हरिकिशन ने लुकेश्वरी को वेटलिफ्टिंग का अभ्यास करने भेजने लगा। आर्थिक परेशानियों के बाद भी बहन की डाइट की जरूरत को पूरा किया।
बहन भी अपने भाई के सपनों को उड़ान देने की ठान ली और रायपुर के गुढ़ियारी स्थित जय सतनाम व्यायाम शाला में एनआईएस कोच रुस्तम सारंग की निगरानी में नियमित अभ्यास में जुट गई। 2022 में अभ्यास शुरू करने वाली लुकेश्वरी ने महज दो वर्षों के अंदर अपने जज्बे के दम पर कई राज्य स्तर के टूर्नामेंट में मेडल जीते है। अब राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में छत्तीसगढ़ टीम का प्रतिनिधित्व कर रही है। 11 जनवरी 2025 को बरहमपुर ओडिशा में आयोजित अस्मिता खेलों इंडिया महिला नेशनल वेटलिफ्टिंग टूर्नामेंट में 141 किग्रा वजन उठा कर चौथा स्थान हासिल किया।
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तीसरी कहानी: हाऊस हेल्प और केयर टेकर खोजना आसान हो जाएगा। काम वाली बाई से लेकर नर्सेस तक सबकुछ ऑनलाइन दिखाई देंगे। भिलाई के दो भाई-बहनों ने स्टार्टअप शुरू किया है। दो सौ लोगों की वर्क फोर्स के साथ उनके स्टार्टअप केईईओ की शुरुआत हो चुकी है। यह छत्तीसगढ़ का पहला स्टार्टअप है, जो शासकीय और निजी विश्वविद्यालयों के साथ होटलों व रेस्टोरेंट्स के लिए स्टाफ मैनेजमेंट पर काम करती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद भिलाई के अनमोल बौरिया और उनकी बहन अंकिता बौरिया ने इस स्टार्टअप की नींव रखी। अच्छे पैकेज पर नौकरी के विकल्प भी मिले, लेकिन उन्होंने नौकरियां देने वाला बनने का इरादा किया। उनका यह स्टार्टअप छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से लेकर सॉफ्टवेयर पार्क ऑफ इंडिया में अपनी सेवाएं दे रहा है। अंकिता ने बताया कि, इस स्टार्टअप के लिए सीएसवीटीयू ने फंडिंग की है। स्टार्टअप कंपनियों में क्लीनिंग स्टाफ के अलावा हाउस मेड की परेशानी से जूझ रहे लोगों को एक क्लिक पर उनके एरिया के मेड की जानकारी मिल जाती है। काम के नेचर के हिसाब से हर महीने कंपनी कस्टमर से चार्ज करती है। इसके बाद थोड़ा सा कमीशन लेकर हाऊस हेल्पर को महीने के हिसाब से भुगतान दिया जाता है। महज दो लोगों से शुरू हुआ यह स्टार्टअप सालना लाखों रुपए का टर्नओवर कर रहा है।