वाहन निकलने का नहीं है रास्ता
टंकी मरोदा के इस पीएचसी में आने वालों को पार्किंग की समस्या से जूझना पड़ता है। बड़े अधिकारी इस अस्पताल में आने से कतराते हैं। यहां फोर व्हीलर न पहुंच पाती है और न यहां से लौट सकती है। जिसकी वजह से एक बार इस अस्पताल तक आने वाले फिर लौटकर हालात देखने नहीं जाते। अस्पताल ऐसे जगह होना चाहिए, जहां एक ओर से वाहन आए और आगे से निकल जाए। ऐसा इस पीएचसी में आने पर देखने को नहीं मिलता है।
बज-बजा रही हैं नालियां
हॉस्पिटल के ठीक सामने नालियां बज-बजा रही हैं, उसके बदबू की वजह से यहां खडऩा मुश्किल हो जाता है। यहां सफाई हर दिन की जाए, तब भी वापस गंदगी पसर जाती है। सड़कों पर गंदगी पसरी हुई है। शाम होने से पहले ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। अस्पताल के चारों ओर गंदगी का आलम है।
एक लाख की आबादी पर एक पीएचसी
नगर पालिक निगम, रिसाली क्षेत्र में सिर्फ एक पीएचसी है। यहां की आबादी करीब चार लाख से अधिक है। बीएसपी के आवासों में रहने वाले जरूर सेक्टर-9 हॉस्पिटल चले जाते हैं। इसके अलावा बस्तियों में रहने वालों के लिए एक मात्र हॉस्पिटल टंकी मरोदा का यही है। कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन लगवाने के लिए यहां लंबी कतार लगती थी। तब नए शेड भी लगवाए गए।
अस्पताल के लिए यह जगह नहीं है उपयुक्त
असल में यह जगह हॉस्पिटल के लिए उपयुक्त नहीं है। हॉस्पिटल के आसपास शाम होते ही मवेशियों का जमावड़ा लग जाता है। अस्पताल शुरू होने से पहले से खटाल संचालित हो रहा है। दिन में भी मच्छरों का जमावड़ा है। अस्पताल आने जाने के लिए रास्ता नहीं। इस तरह की गंदगी के बीच हॉस्पिटल संचालित हो रहा है। रिसाली में मौजूद बीएसपी के अस्पताल भवन में इसे शिफ्ट किया जा सकता है। इसके लिए बीएसपी और जिला प्रशासन को चर्चा कर रास्ता निकालना होगा।