लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद पर सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का जन्म भिलाई में हुआ है। प्राथमिक और हायर सेकंडरी शिक्षा भिलाई के बीएसपी सेक्टर 9 और 10 स्कूल से हुई है। उनके पिता दिवंगत सरदार गुरूनाम सिंह भिलाई स्टील प्लांट में मैनेजर थे। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह के परिवार से ताल्लुक रखने वालों ने बताया कि वे बचपन से सेना में जाने का सपना देखते थे। आज उनकी सैन्य रणनीति की बदौलत भारत ने चीन को बड़ा सबक सिखाते हुए भारतीय सीमा से उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है।
साल 2010 में ले. जनरल हरिंदर सिंह कर्नल के पद पर थे। उन्होंने ‘इमरजिंग लैंड वॉरफाइटिंग डॉक्टराइन्स एंड केपेबिलिटीजÓ के टाइटल के साथ रिसर्च पेपर लिखा था। उन्होंने लिखा था कि भारत और चीन सन् 1962 के बाद से ही अपने सीमा विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं। बॉर्डर पर टकराव एक ऐसा मसला है जिसे रोका न जाए तो वह एक स्थानीय संघर्ष में तब्दील हो जाता है। 10 साल बाद उनकी लिखी बात गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प के रूप में सामने आई है। अब ले. जनरल इसी टकराव को सुलझाने के लिए 6 जून से लगातार चीनी फौज के साथ बैठक कर रहे थे।
ले. जनरल हरिंदर सिंह लद्दाख की राजधानी लेह स्थित 14वीं कोर के वर्तमान कमांडर हैं। इस कमांड को ‘फायर एंड फ्यूरीÓ के नाम जाना जाता है। ले. जनरल सिंह को काउंटर इनसर्जेंसी का एक्सपर्ट माना जाता है। 14 कोर को कमांड करने से पहले वह सेना के कई अहम पदों पर सेवाएं दे चुके हैं। 14 कोर पर आने से पहले वह डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री इंटेलीजेंस, डायरेक्ट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस और डायरेक्टर जनरल ऑफ लॉजिस्टिक्स एंड स्ट्रैटेजिक मूवमेंट को संभाल चुके हैं। नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीएस) से पास आउट ले. जनरल सिंह अफ्रीका में यूनाइटेड मिशन के साथ भी तैनात रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।