प्रस्ताव के मुताबिक एलीवेशन का काम नहीं हुआ। सौंदर्यीकरण के नाम पर बिल्डिंग के सामने कांक्रीट का पिल्लर खड़ा है। पिछली सरकार ने पुरानी बिल्डिंग का विस्तार का निर्णय लिया था। पुरानी बिल्डिंग के छत पर फस्र्ट प्लोर बनाने के लिए नाबार्ड से लोन लेकर 1.80 करोड़ रुपए का फंड विवि को उपलब्ध कराया गया था। फंड की स्वीकृति मिलने के बाद इंजीनियरों ने प्रस्ताव को बदल दिया। राशि को सौंदर्यीकरण पर खर्च करने का प्रस्ताव तैयार किया। महाविद्यालय की पुरानी बिल्डिंग के दीवार से पिल्लर खड़ी करने का निर्णय लिया गय था। निर्णय के अनुसार पिल्लर पर ग्रेनाइट लगाकर रंगरोगन किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
वर्तमान कुलपति और रजिस्ट्रार इस मामले में कुछ समझ पाते। इससे पहले ही प्रभारी अधीक्षण अभियंता संतोष अग्रवाल की मूल विभाग जल संसाधन विभाग में वापसी हो गई है। पूर्ववर्ती सरकार ने अग्रवाल को जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर कामधेनु विवि में प्रभारी अधीक्षण अभियंता के पद पर पदस्थ किया था। अग्रवाल ने प्रभारी अधीक्षण अभियंता के अधिकार से 46 करोड़ की लागत से अंजोरा में बन रही कामधेनु विवि का प्रशासनिक भवन, कुलपति निवास, रेस्ट हाउस, प्रोफेसर्स हाउस, रिसर्च टॉवर के बिल वाउचर पर साइन किया। तीन साल में एक बिल्डिंग तक तैयार नहीं कर पाया। सभी कार्य अधूरा है। प्रस्तावित भवनों का 70-80 फीसद काम ही पूरा हुआ है।
यह काम बिना टेंडर के ठेका में दिया गया है। इसकी जानकारी पूर्व कुलपति यूके मिश्रा, तत्कालीन रजिस्ट्रार ने बिल का भुगतान किया। 1.80 करोड़ रुपए को करीब चार फीट चौड़ा 20 फीट ऊंचा कांक्रीट के 26 पिल्लर बनाने में खर्च कर दिए। रजिस्ट्रार, कामधेनु विवि. डॉ. पीके मरकाम ने बताया कि तकनीकी विभाग को इस मामले को लेकर पत्र लिखा है। खर्च और कार्य की प्रगति रिपोर्ट की जानकारी मांगी है। जानकारी मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।