IIT Bhilai: इसके लिए आईआईटी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करेगा। यह तकनीक 4जी और लेटेस्ट 5जी सर्विसेज को सपोर्ट करेगा। इस सिस्टम के जरिए आईआईटी भिलाई की आय भी होगी, क्योंकि इसे एक निजी कंपनी के साथ साझा करने की तैयारी है। यह प्रोजेक्ट आईआईटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गगन राज गुप्ता के निर्देशन में किया जा रहा है।
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IIT Bhilai: कैसे काम करेगी नई तकनीक
IIT Bhilai: आईआईटी प्रबंधन ने दावा किया है कि उनकी इस तकनीक से कॉल ड्र्रॉप और क्रॉस कनेक्शन की समस्या शुरुआती चरणों में 5 फीसदी तक नियंत्रण में आएगी। इसके बाद तकनीक विस्तार के साथ इसका प्रतिशत बढ़ता चला जाएगा। मोबाइल फोन में सिग्नल कम होने की समस्या नहीं रहेगी। मोबाइल से कनेक्ट होने वाले टॉवर में इसके लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी, वहीं फोन में भी ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे बातचीत की गुणवत्ता में बड़ा सुधार आएगा। जिस मोबाइल टावर पर उपभोक्ताओं की संख्या अधिक होगी, वहां से कॉल दूसरे टावर में स्थानांतरित कर दी जाएगी। अभी तक रूट बदलने की स्थिति में ही कॉल दूसरे टावर पर डायवर्ट हुआ करता था।
मोबाइल से कनेक्ट होने वाले टॉवर में इसके लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी
फोन में भी ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा
बातचीत की गुणवत्ता में बड़ा सुधार आएगा
जिस मोबाइल टावर पर उपभोक्ताओं की संख्या अधिक होगी
फोन में भी ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा
बातचीत की गुणवत्ता में बड़ा सुधार आएगा
जिस मोबाइल टावर पर उपभोक्ताओं की संख्या अधिक होगी