एक प्राध्यापक ने विश्वविद्यालय को गुमराह करते हुए किसी अन्य प्राध्यापक का नाम बताकर उत्तरपुस्तिकाएं ली और उसे खुद ही जांच कर विश्वविद्यालय को सौंप दी। वहीं इस प्रकरण में दो महिला प्राध्यापकों पर भी कार्रवाई की गई है। इन सभी प्राध्यापकों की वजह से 415 विद्यार्थियों का भविष्य अधर में आ गया। बीएससी केमिस्ट्री की उत्तर पुस्तिका जांच के दौरान प्राध्यापकों ने अंकों को जोड़ने में भारी गलती की। इससे जो छात्र पहले उत्तीर्ण थे, उन्हें फेल कर दिया गया। उत्तरपुस्तिका के हर पन्ने को जांचकर अंक तो सही दिए, लेकिन उन सभी अंकों को गलत जोड़ दिया।
हेमचंद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बताया कि इन प्राध्यापकों पर कार्रवाई के रूप में परीक्षा कार्य से वंचित करने के साथ उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद पहली बार बड़ी कार्रवाई करते हुए दोषी प्राध्यापकों पर डिबार की कार्रवाई की है।
बड़े पैमाने पर फेल हुए विद्यार्थियों ने अपना मामला विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा के सामने रखा। मामले की संजीगदी को देख कुलपति ने सभी उत्तरपुस्तिकाओं की दोबारा जांच कराने का निर्णय लिया। तीन सदस्यीय पैनल ने जब उत्तरपुस्तिकाओं को दोबारा े परखा तो अंक टोटलिंग में भारी लापरवाही साफ हो गई। पूर्व के परिणाम में जो विद्यार्थी फेल घोषित किए गए थे, वे सभी दोबारा मूल्यांकन में पास किए गए।
पत्रिका ने 26 अगस्त को उत्तरपुस्तिका जांच में हुई इस लापरवाही की खबर प्रकाशित कर विश्वविद्यालय को अवगत कराया। विद्यार्थियों द्वारा शिकायत की पड़ताल में पता चला कि यह जिन प्रोफेसरों को कॉपियों की जांच करनी थी, उनकी जगह किसी अन्य ने उत्तरपुस्तिका जांच दी। इस प्रकरण में हेमचंद विश्वविद्यालय प्रशासन ने दोबारा से जांच समिति बनाई और उन सभी उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन दोबारा से करना पड़ा।