भिलाई

हमर छत्तीसगढ़: हरेली के दिन हर घर की चौखट पर लगाई जाती है नीम की पत्ती, कील ठोंक कर लोहार देते हैं अनिष्ट से बचने का आशीष

Hareli Festival 2021: चौखट में कील ठोंककर आशीष देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं।

भिलाईAug 08, 2021 / 11:47 am

Dakshi Sahu

हमर छत्तीसगढ़: हरेली के दिन हर घर की चौखट पर लगाई जाती है नीम की पत्ती, कील ठोंक कर लोहार देते हैं अनिष्ट से बचने का आशीष

भिलाई. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक और पहले त्योहार हरेली की रविवार को चारों ओर धूम है। किसानों का यह अपना त्यौहार है। रविवार को सुबह से किसानों ने कृषि कार्य में उपयोग होने वाले हल, बैल, और तरह-तरह के कृषिऔजार की पूजा की। यह छत्तीसगढ़ का त्यौहार है जिसे यहां के किसान परिवार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। वहीं उत्तराखंड में यही त्योहार हराला के नाम से मनाया जाता है। हरेली के दिन गांव-गांव में लोहारों की पूछपरख बढ़ जाती है। इस दिन लोहार हर घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंककर आशीष देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों की अनिष्ट से रक्षा होती है। इसके बदले में किसान उन्हे दान स्वरूप स्वेच्छा से दाल, चावल, सब्जी और नगद राशि देते हैं।
तंत्र विद्या की होती है शुरुआत
श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी हरेली के दिन से तंत्र विद्या की शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है। इसी दिन से प्रदेश में लोकहित की दृष्टि से जिज्ञासु शिष्यों को पीलिया, विष उतारने, नजर से बचाने, महामारी और बाहरी हवा से बचाने समेत कई तरह की समस्याओं से बचाने के लिए मंत्र सिखाया जाएगा। तंत्र दीक्षा देने का यह सिलसिला भाद्र शुक्ल पंचमी तक चलता है। हरेली में जहां किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढऩे का मजा लेंगे। लिहाजा, सुबह से ही घरों में गेड़ी बनाने का काम शुरू हो जाता है। कई गांवों पारंपरिक खेल प्रतियोगिताओं गेड़ी दौड़, पि_ुल, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, मटका दौड़ का आयोजन किया जाता है। वहीं पशुधन को बीमारियों से बचाने के लिए औषधियुक्त आटे की लोई खिलाई जाती है।
हमर छत्तीसगढ़: हरेली के दिन हर घर की चौखट पर लगाई जाती है नीम की पत्ती, कील ठोंक कर लोहार देते हैं अनिष्ट से बचने का आशीष
छत्तीसगढ़ी पकवानों से महकती है रसोई
छत्तीसगढ़ के पहले त्योहार हरेली में पारंपरिक व्यंजनों से हर घर की रसोई महकती है। एक ओर जहां चावल और गेहूं आटे का मीठा चीला पूजा में उपयोग होता है तो दूसरी ओर चौसेला, खीर और ठेठरी-खुरमी जैसे पकवानों से थाली सजती है। हरेली के दिन ग्राम देवता और कुल देवता की पूजा करने का भी रिवाज है। लोग गांव में एक जगह एकत्रित होकर ग्राम देवता से गांव की सुरक्षा के लिए पूजा करते हैं।

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