यह भी पढ़ें
Hartalika Teej Vrat 2023: आज माताएं-बहनें रखेंगी तीज का निर्जला व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
Ganesh Chaturthi Special Story : लिहाजा एक सीजन में इन प्रतिमाओं से 8 से 10 करोड़ रुपए यहां के मूर्तिकारों के हाथ पहुंचता है। शिल्पग्राम के नाम से विख्यात थनौद का च₹धारी परिवार चार पीढ़ियों से मिट्टी से मूर्तियां गढ़ रहा है। इनके साथ अब गांव के लगभग हर घर में प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा है। इनकी मेहनत व समर्पण का परिणाम है कि छोटे से गांव से निकलकर उनकी कला मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के साथ महाराष्ट्र व माया नगरी मुम्बई तक पहुंच गई है। गांव के 40 वर्कशॉप में इस बार भगवान गणेश की करीब 10 हजार छोटी और 1200 से ज्यादा बड़ी प्रतिमाओं का निर्माण किया जा है। इसके अलावा करीब 2000 दुर्गा की प्रतिमाओं का भी निर्माण यहां होता है। मांग के अनुसार भी यहां के मूर्तिकार प्रतिमाओं का निर्माण पूरे साल करते रहते हैं।
यह भी पढ़ें
डीडी नगर में भगवान बुद्ध व महात्मा ज्योतिबा फुले की प्रतिमा पर किया गया पुष्प अर्पित
300 रुपए से 3.50 लाख तक की मूर्तियां Ganesh Chaturthi Special Story : थनौद में इस बार 1 से 5 फीट की छोटी मूर्तियों के साथ से 21 फीट तक की बड़ी मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। 1 फीट की मूर्ति की कीमत 300 रुपए से शुरू होती है। वहीं 5 फीट तक की मूर्तियां 10 हजार तक बिकती हैं। वहीं इससे बड़ी मूर्तियों की डिजाइन व साज-सज्जा के आधार पर 30 हजार से 3 लाख 50 हजार रुपए तक बिकती है। वहीं दुर्गा जी की प्रतिमाएं भी 20 हजार से 2 लाख 25 हजार तक बिक जाती हैं।
700 से 800 लोगों को मिलता है रोजगार Ganesh Chaturthi Special Story : थनौद में मूर्तिकारों के वर्कशॉप में करीब 800 लोगों को रोजगार भी मिलता है। मूर्तिकारों के अलावा उनके परिवार के सदस्य व महिलाएं भी हाथ बंटातीं हैं। वर्कशॉप में रोजगार प्राप्त करने वाले ये मूर्तिकार आसपास के गांवों के है, जिन्होंने इनके साथ हाथ बटाते हुए मूर्ति कला में महारथ हासिल की है। वर्कशॉप में काम से इन्हें भी अच्छी खासी आमदनी हो जाती है।
यह भी पढ़ें
G-20 के विदेशी मेहमान पहुंचे रायपुर, छत्तीसगढ़िया अंदाज में डेलीगेट्स का हुआ स्वागत…आज कला व संस्कृति से होंगे रूबरू
करोड़ों का कारोबार लेकिन हाथ खाली पिछले वर्षों में बढ़ी महंगाई से मूर्तिकार परेशान है। प्रतिमाओं की बिक्री से मूर्तिकारों को करोड़ों रुपए मिलता है, लेकिन महंगाई के कारण अधिकतर राशि मूर्ति के लिए लकड़ी, रस्सी, पुआल आदि का ढांचा तैयार करने और फिनिशिंग में खर्च हो जाती है। इसके अलावा कारीगरों को भी 1000 से 2000 तक हर दिन भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में महीनों मेहनत के बाद भी एक मूर्ति में केवल 5 से 10 हजार रुपए की ही कमाई हो पाती है। गांव के मूर्तिकार करोड़ों की प्रतिमाएं बेचते हैं, लेकिन समाग्रियों की कीमत में बेतहाशा इजाफा होने के कारण मुनाफा कम होता है। अधिकतर राशि सामग्रियों, साज-सज्जा व दूसरे व्यवस्थाओं में खर्च हो जाती है। कोविड काल के बाद मूर्तियों की कीमत में कोई भी बढ़ोतरी नहीं हुई है, जबकि सामग्रियों की कीमत 3 गुना तक बढ़ गया है।
लव चक्रधारी, मूर्तिकार शिल्पग्राम थनौद
लव चक्रधारी, मूर्तिकार शिल्पग्राम थनौद