scriptDurg जिला के 10 फीसदी केमिकल उद्योग में भी नहीं लगा है ईटीपी, पर्यावरण विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल | EDP is not used even in 10 percent chemical industry | Patrika News
भिलाई

Durg जिला के 10 फीसदी केमिकल उद्योग में भी नहीं लगा है ईटीपी, पर्यावरण विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

जिला में 30 से अधिक केमिकल उद्योग संचालित है। भिलाई के साथ-साथ दुर्ग के रसमड़ा में भी ऐसे उद्योग हैं। केमिकल उद्योगों में पानी का उपयोग करने के बाद दूषित जल को खुले में बहाना नहीं है। इसके लिए एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाना है। वर्तमान में 10 फीसदी केमिकल प्लांट में ईटीपी नहीं लगाया गया है। अलग-अलग तरीका अपना कर वे उद्योग में उपयोग के बाद दूषित जल को खुले में छोड़ देते हैं।

भिलाईFeb 13, 2024 / 07:46 pm

Abdul Salam

Durg जिला के 10 फीसदी केमिकल उद्योग में भी नहीं लगा है ईटीपी, पर्यावरण विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

Durg जिला के 10 फीसदी केमिकल उद्योग में भी नहीं लगा है ईडीपी, पर्यावरण विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

दूषित जल बहा रहे नाली और नाला में

केमिकल उद्योगों से निकलने वाले इस दूषित जल को साफ करके बाहर निकालने या पुन: उपयोग करने का अधिनियम सरकार ने बनाया है। इसके बाद भी उद्यमी सरकार के नियम कानून की धज्जियां उड़ाते रहते हैं। दूषित जल को बिना साफ करे, यूं ही नाली व नाला में निकासी किया जाता है। यह दूषित जल जमीन के भीतर जल स्रोतों को प्रभावित करता है।

विभाग की है जिम्मेदारी

पर्यावरण विभाग के पास केमिकल उद्योग के खिलाफ 5-5 साल से शिकायत पहुंच रही है। विभाग इन उद्योगों का जायजा लेने जाए, प्लांट में ईटीपी लगवाए। ईटीपी का उपयोग किया जा रहा है या केवल शोपीस बन कर रह गया है। यह भी छापामार कार्रवाई करके देखा जा सकता है। इससे भूमिगत जलस्रोत सुरक्षित रहेगा। विभाग का दबाव अगर होता, तो सौ फीसदी उद्योगों में ईटीपी लगा नजर आता।

दिल्ली बोर्ड से भी आते हैं अधिकारी

शिकायत करने पर पर्यावरण विभाग, दिल्ली बोर्ड से भी टीम जांच करने आती है। केमिकल उद्योगों का जांच कर टीम लौट जाती है। इसके बाद जांच रिपोर्ट और कार्रवाई से संबंधित कार्य स्थानीय कार्यालय के जिम्मे दे दिया जाता है। इस तरह से पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

दूषित जल का उपचार कर, फिर से करना है उपयोग

केमिकल प्लांट में ईटीपी लगाकर प्लांट से निकलने वाले दूषित जल का उपचार किया जाना है। इस प्लांट के माध्यम से अपशिष्ट पानी और दूषित जल को शोधन करके पानी को फिर से उपयोग किया जा सकता है। इस पानी का इस्तेमाल प्लांट और गार्डनिंग के कार्य में किया जा सकता है।

फसलों के लिए भी नुकसानदायक

घरेलू उपयोग व फैक्ट्रियों से निकलने के बाद जल केमिकल युक्त और इसमें केमिकल की गंध आती है। उसका प्रयोग किसी मानवीय कार्य के लिए नहीं किया जा सकता। यहां तक कि इस जल का प्रयोग ना मवेशियों के लिए किया जा सकता है और ना फसलों के लिए किया जा सकता है। अगर इस जल का उपयोग फसलों के लिए करते हैं, तो उनको भी नुकसान पहुंचाते हैं।

क्या होता है ईटीपी

उद्योगों में अपशिष्ट पानी को एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) से साफ किया जाता है। ईटीपी केमिकल उद्योग के दूषित जल को शुद्ध करने की प्रक्रिया होती है। इसके लिए अलग अलग प्रोसेस का प्रयोग किया जाता है।

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