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जिले में पटाखों की करीब 40 स्थायी दुकानें हैं। इसके अलावा दीपावली के लिए ट्विनसिटी में दर्जनभर से अधिक अस्थायी पटाखा बाजार लगाकर पटाखों की बिक्री की जा रही है। स्थायी दुकानों में पूरे साल नियमों को ताक पर रखकर हाई डेसिबल यानि अधिक शोर वाले पटाखों की बिक्री होती है। व्यापारिक सूत्रों के मुताबिक इस बार भी इन दुकानों में 150 से 180 डेसिबल पटाखों की बिक्री की जा रही है। इसके अलावा अस्थायी दुकानों में भी हाई डेसिबल और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की खुलेआम बिक्री की जा रही है।
दुकानों में समय रहते जांच से हाई डेसिबल व अधिक प्रदूषण वाले पटाखों की बिक्र पर रोक लगाई जा सकती थी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने इस बार भी दुकानों की जांच पर ध्यान नहीं दिया। अफसरों ने अब तक एक भी दुकान की जांच नहीं की है।
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शोर की जांच में भी महज खानापूर्ति
हाई डेसिबल के पटाखों के मामले में भी संबंधित अधिकारी हर बार केवल एक दो जगहों पर पटाखे फोड़े जाने के दौरान जांच कर खानापूर्ति कर लेते हैं। पिछले सालों तक पर्यावरण विभाग सेक्टर-9 अस्पताल और दुर्ग कोतवाली के पास मशीन लगाकर पटाखों के शोर की जांच करती रही है।
0 केवल हरित पटाखों का किया जा सकेगा उपयोग।
0 पटाख फोडऩे की अवधि दो घंटे रात 8 से 10 होगी
0 छठ पूजा पर सुबह 6 से 8 बजे तक पटाखों की अनुमति होगी।
0 गुरू पर्व पर रात 8 से 10 के बीच पटाखे फोड़े जा सकेंगे।
0 नव वर्ष व क्रिसमस पर रात 11.55 से 12.30 तक होगी अनुमति।
0 पटाखा की ध्वनि 4 मीटर की दूरी तक न्यूनतम 124 डेसिबल
0 अधिकतम 145 डेसिबल।
0 रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक पटाखा फोड़े जाने पर प्रतिबंध 0 पटाखा फोडऩे का समय सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक।
0 अतिसंवेदनशील क्षेत्र अस्पताल, शिक्षण संस्थान,
0 पटाखों के धुएं से अस्थमा व फेफड़ों सें संबंधित अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
0 पटाखों की अधिक आवाज से हमारी श्रवण शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे भविष्य में श्रवण शक्ति कमजोर हो सकती है।
0 सामान्य स्थिति में शोर का मानक स्तर दिन में 55 व रात में 45 डेसिबल होता है, लेकिन दीपावली के आसपास यह दोगुने के करीब पहुंच जाता है। यह शोर बहरा करने के लिए पर्याप्त है।
0 पटाखे की अधिक आवाज से दिल की धडक़न तेज हो जाता है। दिल के रोगी के लिए यह शोर जानलेवा हो सकता है।
0 प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है।