scriptमहाशिवरात्रि: कल्चुरी कालीन रहस्यों से भरा देवबलौदा शिव मंदिर, गुंबद बनाने से पहले शिल्पी ने लगा दी कुंड में छलांग, Video | Dev baloda shiv temple | Patrika News
भिलाई

महाशिवरात्रि: कल्चुरी कालीन रहस्यों से भरा देवबलौदा शिव मंदिर, गुंबद बनाने से पहले शिल्पी ने लगा दी कुंड में छलांग, Video

नवरंग मंडप नागर शैली में बना देवबलौदा का प्राचीन शिव मंदिर अपने आप में खास है। कल्चुरी राजाओं ने 13 वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण कराया।

भिलाईFeb 13, 2018 / 11:57 am

Dakshi Sahu

patrika
भिलाई. नवरंग मंडप नागर शैली में बना देवबलौदा का प्राचीन शिव मंदिर अपने आप में खास है। कल्चुरी राजाओं ने 13 वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण कराया। राजधानी और दुर्ग के बीच भिलाई-तीन चरोदा रेललाइन के किनारे बसे देवबलौदा गांव का यह ऐतिहासिक मंदिर कई रहस्यों को साथ लिए हुए है।
शिवरात्रि पर भरने वाले मेले ने इसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैलाई है। मंदिर के अंदर करीब तीन फीट नीचे गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग और मंदिर के बाहर बने कुंड को लेकर प्रचलित लोक कथाओं के बीच यह मंदिर अपने आप में खास है।
बताया जाता है कि मंदिर को बनाने वाला शिल्पी इसे अधूरा छोड़कर ही चला गया था इसलिए इसका गुंबद ही नहीं बन पाया। वहीं यहां मौजूद कुंड के भीतर ऐसा गुप्त रास्ता है जो आरंग में निकलता है। मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक कहानी यह भी है कि जब इस मंदिर का निर्माण किया जा रहा था।
उस दौरान छह महीने तक लगातार रात ही थी, लेकिन खगोल के इतिहास में ऐसी घटना का कहीं भी उल्लेख नहीं है। संस्कृतिकविद् एवं शिक्षक रामकुमार वर्मा बताते हैं कि शायद मंदिर के निर्माण में लंबा समय लगा होगा और लोगों ने इस लंबे समय की बात को छमासी रात में बदल दिया।
patrika
मंदिर के शिल्पी ने लगाई थी छलांग

मंदिर के बारे में दूसरी मान्यता यह भी है कि जब शिल्पकार मंदिर को बना रहा था तब वह इतना लीन हो चुका था कि उसे अपने कपड़े तक की होश नहीं थी। दिन रात काम करते-करते वह नग्न अवस्था में पहुंच चुका था। उस कलाकार के लिए एक दिन पत्नी की जगह बहन भोजन लेकर आई। जब शिल्पी ने अपनी बहन को सामने देखा तो दोनों ही शर्मिंदा हो गए।
शिल्पी ने खुद को छुपाने मंदिर के ऊपर से ही कुंड में छलांग लगा दी। बहन ने देखा कि भाईकुंड में कूद गया तो इस गम में वह बगल के तालाब में कूद गई। आज भी कुंड और तालाब दोनों मौजूद है और तालाब का नाम भी करसा तालाब पड़ गया क्योंकि जब वह अपने भाई के लिए भोजन लेकर आई थी तो भोजन के साथ सिर पर पानी का कलश भी था।
तालाब के बीचोबीच कलशनुमा पत्थर आज भी मौजूद है। कुंड के बारे में लोगों का कहना है कि इस कुंड के अंदर एक गुप्त सुरंग है जो सीधे आरंग के मंदिर के पास निकलती है। वह शिल्पी जब इस कुंड में कूदा तब उसे वह सुरंग मिली और उसके सहारे वह सीधे आरंग पहुंच गया।
बताया जाता है कि आरंग में पहुंचकर वह पत्थर का हो गया और आज भी वह पत्थर की प्रतिमा वहां मौजूद है। इस कुंड में 23 सीढिय़ा है और उसके बाद दो कुएं है। इसमें से एक पाताल तोड़ कुआं है जिससे लगातार पानी निकलता है।

Hindi News / Bhilai / महाशिवरात्रि: कल्चुरी कालीन रहस्यों से भरा देवबलौदा शिव मंदिर, गुंबद बनाने से पहले शिल्पी ने लगा दी कुंड में छलांग, Video

ट्रेंडिंग वीडियो