Dal Price Today: जिले में अरहर, उड़द, मूंग और चने की खेती बेहद कम होती है। लिहाजा दालों के मामले में जिले सहित प्रदेश की अधिकतर बाजार को अन्य प्रदेशों अथवा बाहरी आवक पर निर्भर रहना पड़ता है। बाहर से अरहर व अन्य दलहनी उपज मंगाकर स्थानीय स्तर पर मिलिंग कर बाजार में खपाया जाता है। सामान्य स्थिति में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से अरहर, उड़द, मूंग और चने की आवक जिले में होती है। इस समय भी इन्हीं दोनों राज्यों से पूर्ति हो रही है। जिले में महाराष्ट्र से अरहर की आपूर्ति हो रही है। शेष दलहनी उत्पाद मध्यप्रदेश से हो रहा है।
Dal Price Today: जनवरी में नई फसल से राहत की उम्मीद
प्रदेश में अरहर की नई फसल की आवक दिसंबर-जनवरी में होती है। शेष समय बाजार विदेशी आवक पर निर्भर होता है। व्यापारियों के मुताबिक अगस्त में अफ्रीकी देशों से अरहर की नई फसल की आवक शुरू होती है। यहीं से देश में अधिकतर दाल की आवक होती है। अगस्त में अफ्रीकी देशों से आवक अथवा दिसंबर-जनवरी में लोकल आवक से थोड़ी राहत मिल सकती है।Dal Price Today: पिछली बार स्टॉक लिमिट के कारण राहत
पिछली बार भी इसी तरह अरहर व अन्य दालों की कीमत अचानक बढ़ने लगी थी। ऐसे में बड़े व्यापारियों द्वारा जमाखोरी की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने व्यापारियों के लिए स्टॉक लिमिट तय कर दी थी। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इसके चलते बाजार में थोड़ी राहत रही। इससे स्टॉक छोटे व्यापारियों तक पहुंची और कीमत एकदम से नहीं बढ़ी।Dal Price Today: महाराष्ट्र-एमपी में बाजार तेज
जिले में अरहर और दूसरे दलहनी खाद्यान्न की अधिकतर आवक महाराष्ट्र से होती है। वहीं मध्यप्रदेश से भी इसकी आपूर्ति होती है, लेकिन मिलर्स व व्यापारियों का कहना है कि महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश दोनों जगहों पर कच्चे माल के भाव में तेजी है। इसका असर दालों की कीमत पर पड़ रहा है। अधिक कीमत पर खरीदी के अलावा परिवहन व मिलिंग के चार्ज से कीमतें बढ़ जाती है।इस तरह बढ़ी दालों की कीमत
दाल थोक में चिल्हर में अरहर 120 से 170 रुपए 135 से 185 रुपए चना 80 से 85 रुपए 90 से 95 रुपए उड़द 110 से 120 रुपए 120 से 130 रुपए मूंग 100 से 110 रुपए 110 से 125 रुपए मसूर 80 से 85 रुपए 85 से 90 रुपए (कीमत-व्यापारियों के द्वारा बताए अनुसार प्रति किलो) दो-ढाई महीने में अरहर दाल की कीमतों में 25 से 30 रुपए तक बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले तक कीमत स्थायी रही। दूसरे दालों की कीमत भी 10 से 20 रुपए तक बढ़ी है। जिले के बाजार बाहरी आवक पर निर्भर है। दलहनी उत्पादों की आवक महंगी हो रही है। इसलिए कीमत भी बढ़ी है।
सुभाष बाकलीवाल पूर्व अध्यक्ष, इंदिरा मार्केट अनाज व्यापारी संघ दुर्ग 80 फीसदी सप्लाई पर निर्भर बाजार दालों के मामले में जिले सहित प्रदेश की अधिकतर बाजार बाहरी आवक पर निर्भर रहता है। व्यापारियों के मुताबिक 80 फीसदी अरहर की आवक विदेशों से होती है। विदेशी अरहर को मंगाकर स्थानीय स्तर पर मिलिंग कर बाजार में खपाया जाता है। वहीं करीब 20 फीसदी दाल की पूर्ति स्थानीय व अन्य प्रदेशों के आवक से हो पाती है। कवर्धा से भी अरहर की आवक जिले में होती है।