बुधवार को दुर्ग कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा जब वे छापामार कार्रवाई करने अलसुबह जेल पहुंचे। कलेक्टर व एसपी की टीम ने चक्कर अधिकारी अशोक साव को साथ लेकर जेल में दबिश दी। उनको इसलिए सबसे पहले बुलाया, ताकि वह किसी को इसकी सूचना ना दे सकें। जेल में कोई भी सामान कैदी तक पहुंचाने से पहले चक्कर अधिकारी की नजरों से गुजरता है। इस कार्रवाई में कई खुलासे हुए।
जेल में छामापारी के दौरान पुलिस अधिकारियों ने देखा कि बड़े अपराधियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। इनको नवीन जेल परिसर में रखा गया है। एसपी ने देखा कि सभी आरोपी मोटे गद्दे पर सोए हुए हैं। इनके गद्दे के नीचे से काजू, बादाम और किशमिश जैसे ड्राई फूड मिले। इससे चक्कर अधिकारी और इंचार्ज की भूमिका संदिग्ध है।
सूत्रों के मुताबिक जेल के भीतर आला अधिकारियों के छापामार कार्रवाई होने की सूचना पहले ही पहुंच गई थी। यही वजह है कि प्रतिबंधित सामान मिला, लेकिन अधिक मात्रा में नहीं मिला। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी और एसपी जितेंद्र शुक्ला ने टीम के साथ बुधवार को सुबह 5 बजे सेंट्रल जेल में दबिश दी। इस दौरान उनके साथ एएसपी अभिषेक झा और 96 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। टीम ने जेल का चप्पा चप्पा छान मारा। जेल के बैरक में पहुंचे, तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। जेल में मोबाइल फोन, चाकू जैसी पट्टी, चिलम, बीड़ी, सिगरेट, तंबाखू जैसी प्रतिबंधित सामान मिले। इस पर एसपी शुक्ला ने नराजगी जाहिर करते हुए जेल के अफसरों को फटकार लगाई।
दुर्ग के सेंट्रल जेल में इस समय बंद बड़े अपराधियों में गैंगस्टर तपन सरकार, उपेंद्र सिंह उर्फ कबरा समेत उनके कई गुर्गे हैं। इनको नवीन जेल के सेक्टर बी के एक बैरक में रखा गया था। वहीं उपेंद्र भी इस जेल में है। जिसने जेल से पेशी जाते समय पूरी की पूरी ट्रेन हाईजैक कर ली थी। महादेव सट्टा ऐप का मास्टर माइंड में से एक दीपक नेपाली भी यहां बंद है।
दुर्ग के एएसपी अभिषेक झा ने कहा की जेल की व्यवस्था प्रशासनिक होती है, कलेक्टर, दुर्ग के निर्देश पर इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। प्रतिबंधित सामान मिला है। इसको लेकर पुलिस अधीक्षक ने रिएक्ट जरूर किया है। मामले की जांच की जा रही है।