आईआईटी इस पूरे प्रोसेस के लिए खास ऐप डेवलप करा रहा है। ऐप में स्टूडेंट्स एक दिन पहले बता सकेंगे कि उन्हें कल क्या खाना है। तय मेन्यू में से अपनी रुचि का भोजन वेंडर के पास दी गई मशीन में आईडी कार्ड को टैप कर ले सकेंगे। मसलन, सिर्फ सब्जी और रोटी लेने पर उतना ही भुगतान करना होगा, पूरे खाने का शुल्क नहीं लगेगा। वेंडर भी पहले से इसके लिए तैयार होगा।
मकसद: वेस्ट न हो भोजन
आईआईटी प्रबंधन ने बताया कि कॉलेजों की मेस में बन रहा भोजन सभी के लिए एक जैसा होता है। कई बार स्टूडेंट्स इससे खुश नहीं रहते, जिससे वे या तो भोजन खाते ही नहीं या लेकर छोड़ देते हैं, जिससे भोजन व्यर्थ हो जाता है। इससे स्टूडेंट्स के पैसों की बर्बादी तो होती ही है, साथ-साथ अन्न का अपमान भी होता है। मेस का वेंडर मोनोपली चलाने लगता है। नए प्रस्ताव में मेस के लिए कई वेंडर्स होंगे।
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वेंडर के बीच होगी स्पर्धा
इस सिस्टम से स्टूडेंट्स को हमेशा ही स्वच्छ और स्वादिष्ट भोजन मिलेगा। संस्थान सिर्फ एक वेंडर पर निर्भर नहीं रहेगा, कई वेंडर्स से भोजन के विकल्प होंगे। पसंद का भोजन अपने कार्ड की मदद से चुनने का विकल्प होने से वेंडर्स की मजबूरी होगी कि वे अच्छा खाना बनाएं ताकि स्टूडेंट्स उनके पास और उन्हें प्वाइंट्स मिले। हफ्ते या महीने में इन प्वाइंट के हिसाब से आईआईटी वेंडर्स को भोजन का भुगतान करेगा।
आईआईटी भिलाई देश का पहला संस्थान होगा जिसमें स्टूडेंट्स को च्वॉइस बेस्ड फूड का विकल्प मिलेगा। मेस में उन्हें क्या खाना है यह खुद स्टूडेंट्स बताएंगे। इसके लिए आईआईटी एक विशेष सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है, जो उनकी मदद करेगा।
कैंपस में कैश नहीं चलेगा
आईआईटी भिलाई ने बताया कि स्टूडेंट्स को मिलने वाला आईडी कार्ड और उसमें डाले जाने वाले प्वाइंट्स सिर्फ आईआईटी कैंपस में ही चलेंगे। कैंपस के भीतर की दुकानों में एक भी रुपए का सामान कैश में नहीं बिकेगा। बल्कि स्टूडेंट्स के कार्ड को टैप कर खरीदारी होगी। कैफे से लेकर स्टेशनरी तक में यह व्यवस्था की जाएगी। अपनी जरूरत के हिसाब से दुकानदार स्टूडेंट्स से मिले हुए प्वाइंट कैश में तब्दील करा सकेंगे।
हर एक स्टूडेंट की निगरानी
इस सिस्टम की वजह से आईआईटी अपने हर एक स्टूडेंट्स की निगरानी रख पाएंगा। संस्थान को पता चलेगा कि किस स्टूडेंट्स ने आज खाना नहीं खाया। कहां अधिक खर्च किया। यदि कार्ड से खर्च नहीं कर रहा तो उसका समय कैसे बीत रहा है। यह आंकड़ा मिलने के बाद आईआईटी उस स्टूडेंट्स की काउंसलिंग कराएगा।
सबसे बड़ी बात यह भी है कि स्टूडेंट्स के कार्ड में दिया गया वॉलेट पैरेंट्स भी देख पाएंगे। कैंपस में वह क्या खरीद और या खा रहा है उन्हें इसकी जानकारी मिलती रहेगी।
डॉ. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर, आईआईटी भिलाई ने बताया कि आईआईटी भिलाई कैंपस में कैश नहीं चलेगा, हर खरीदारी इन हाउस प्वाइंट्स के जरिए होगी। छात्रों के आईडी कार्ड में विशेष वॉलेट होगा, जिससे वे मेस में भोजन का विकल्प चुन सकेंगे। इसी कार्ड से भोजन का भुगतान करेंगे, बाद में आईआईटी वेंडर को ट्रांसफर करेगा। इस सिस्टम के लिए रायपुर एम्स की टीम से सलाह और मार्गदर्शन लिया जा रहा है।