CG Politics: बृजमोहन चले दिल्ली, छत्तीसगढ़ की राजनीति को किया टाटा-बाय बाय!
कांग्रेस संगठन में दुर्ग शहर के जिला अध्यक्ष का दायित्व पूर्व महापौर गया पटेल, दुर्ग ग्रामीण का दायित्व भिलाई-3 के महापौर निर्मल कोसरे और भिलाई जिला अध्यक्ष का पद मुकेश चंद्राकर संभाल रहे हैं। विधानसभा और लोकसभा दोनों ही चुनाव में तीनों ही जिला अध्यक्षों का परफार्मेंस अच्छा नहीं रहा। शहर जिला अध्यक्ष गया पटेल की नियुक्ति ज्यादा सक्रिय व क्षमतावान कई नेताओं को दरकिनार कर पूर्व शहर विधायक अरुण वोरा की अनुशंसा पर की गई थी।
विधानसभा चुनाव से पहले ही शहर अध्यक्ष पटेल की सक्रियता को लेकर विवाद हुआ था। इधर चुनाव में शहर में कांग्रेस को तगड़ी पराजय का सामना करना पड़ा। यही हाल ग्रामीण जिला अध्यक्ष कोसरे से संबद्ध विधानसभाओं का रहा। ग्रामीण जिला अध्यक्ष निर्मल कोसरे खुद विधानसभा के चुनाव मैदान में थे और पराजित हो गए। ग्रामीण संगठन जिले के 5 में से 3 विधानसभा में कांग्रेस को जबरदस्त पराजय का सामना करना पड़ा। भिलाई अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर भी विधानसभा में वैशाली नगर में खुद बड़े अंतर पराजित हो गए थे।
CG Politics: लोकसभा में भी नहीं सुधार पाए प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव में पराजय के कारण लोकसभा से पहले ही जिला अध्यक्षों को बदले जाने की खबर आई थी। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को हटाया भी गया, लेकिन जिला अध्यक्ष बच गए। तब माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन में सुधार का प्रयास किया जाएगा, लेकिन लोकसभा चुनाव में तीनों ही विधानसभा क्षेत्रों में पराजय का गड्ढा और बड़ा हो गया। इसके बाद से अब तीनों जिला अध्यक्षों को बदले जाने की मांग उठने लगी है।
युवाओं की तरफदारी
प्रदेश संगठन से जुड़े एक बड़े नेता की मानें तो प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी संगठन की मजबूती और सभी अहम जिमेदारियां समर्पित और ऊर्जावान युवाओं को देने के पक्ष में हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब नगरीय निकाय चुनावों से पहले प्रदेश स्तर पर मुहिम चलाकर क्षमतावान व सक्रिय युवाओं की तलाश की जाएगी। बताया जा रहा है कि नए पदाधिकारियों के लिए पांच साल का रोडमैप भी तय किया जाएगा।
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CG Politics: प्रदेश अध्यक्ष पहले ही दे चुके हैं संकेत
विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को हटाकर दीपक बैज को जिमेदारी दी गई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष बैज विधानसभा चुनाव से पहले ही संगठन में बदलाव के मूड में थे, लेकिन लोकसभा चुनावों में संभावित असंतोष को देखते हुए इसे रोककर रखा गया था, लेकिन अब चुनाव निबट चुका है और चुनाव में पराजय के चलते बदलाव की मांग भी उठने लगी है।