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CG News: 70 लोगों को दी जा रही पेंशन
CG News: सालभर पहले शुरू हुई इस पहल के तहत केरल समाज के 70 बुजुर्गों को हर महीने पेंशन के रूप में 400 रुपए दिए जाते हैं। हालांकि यह राशि काफी कम है लेकिन कई बुजुर्गों के लिए यह बीपी-शुगर की दवा में काम आती है। समाज की ओर से पेंशन की राशि की व्यवस्था की जाती है। CG News: हर महीने की 10 तारीख तक पैसा बुजुर्गों के खाते में ट्रांसफर हो जाता है। इसके लिए बुजुर्गों का खाता नंबर और आधार कार्ड लिया गया है। संस्था कार्यालय की ओर से राशि ट्रांसफर की जाती है। इस उम्र में आने वाले समाज के कार्यालय में अपना नाम जुड़वाते हैं।
सालभर पहले हुई शुरुआत
श्री नारायण गुरु धर्म समाज (एसएनजीडीएस) भिलाई का मुख्यालय सेक्टर-4 में स्थित है। समाज के जनरल सेक्रेटरी टीयू सुनील कुमार ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले एक कार्यक्रम में हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में गए थे। वहां समाज के बहुत से ऐसे लोग रहते हैं जो प्राइवेट नौकरी करने वाले हैं। इस दौरान देखने में आया कि कई बुजुर्ग दवा के लिए भी दूसरों पर निर्भर हैं। जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक है, वहां तो कोई समस्या नहीं है लेकिन दूसरों की परेशानी देखकर समाज के लोगों ने मिलकर पेंशन देने का निर्णय लिया। राशि कम है लेकिन इससे छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
भविष्य में राशि बढ़ाने की योजना
पेंशन राशि पर चर्चा करते हुए टीयू सुनील कुमार ने बताया कि यह शुरुआत है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए भविष्य में इस राशि को बढ़ाने की योजना है। उनका कहना था कि 70 साल के बाद की अव्यवस्था बहुत ही नाजुक होती है। स्वाभिमान के साथ जीने वाले बुजुर्ग अपनी जरूरतों के लोग मोहताज न हों, इस पर समाज पहल करना चाहता है। भिलाई में समाज से जुड़े 1000 परिवार रहते हैं। यह भी पढ़ें
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मंदिर की आय से कर रहे व्यवस्था
पेंशन के लिए पैसे की व्यवस्था पर जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि समाज की ओर से एक स्कूल, मंदिर और ऑडिटोरियम का संचालन किया जा रहा है। मंदिर की जो आय है, उसमें से ही बुजुर्गों को पेंशन दी जाती है। समाज के साथ ही शहर के लोग मंदिर में दान करते हैं। इस राशि का ही उपयोग पेंशन के लिए किया जाता है। समाज की ओर से इसे वेलफेयर कहा जाता है। इसी वर्ष 12 जुलाई का मंदिर का पुनप्र्रतिष्ठा समारोह हुआ था। इस मंदिर का निर्माण केरल और तमिलनाडु के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित चेंगोटा में मिलने वाले कृष्ण शिला पत्थर द्वारा किया गया है। यह अपनी तरह का छत्तीसगढ़ का पहला मंदिर है।