एआई में स्किन प्रॉब्लम की सही पहचान के लिए शीर्ष संस्थान आईआईटी भिलाई ने ऐसा एल्गोरिदम तैयार किया है, जो बिना भेदभाव किए त्वचा के गोरे या काले रंग से स्किन डिजीज का पता लगा सकता है। जल्द ही आईआईटी इसके लिए एक ऐप भी डेवलप करेगा, जिसमें फोटो अपलोड के साथ यह उक्त स्किन डिजीज की जानकारी दे देगा।
आईआईटी की फैकल्टी का कहना है कि अभी तक जितने भी एआई बेस्ड स्किन चेकअप टूल्स हैं, उनमें सिस्टम डार्क स्किन टोन पर आई स्किन प्रॉब्लम का पता नहीं लगा पाता था। एआई सफेद चमड़ी पर हुई बीमारी का पता तो लगा लेता था, लेकिन भारतीय या ऐसे देश जहां स्किन टोन डार्क होती है वहां यह तकनीक काम नहीं करती थी।
डायरेक्टर प्रो. राजीव प्रकाश का कहना है कि आईआईटी भिलाई में जनहित से जुड़ी रिसर्च लगातार जारी है। इस तरह के कार्य आम लोगों तक सीधे पहुंच बनाते हैं। रिसर्च के जरिए एआई बेस्ड स्किन डिजीज इवॉल्यूएशन पर काम हो रहा है। यह खुद में यूनिक रिसर्च है।
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रिसर्च जर्नल हुआ प्रकाशित
डॉ. गगन ने बताया कि डार्क स्किन टोन से इमेज प्रोसेसिंग और वर्ड डिस्क्रिप्शन का इस्तेमाल कर एआई को बेहतर नतीजे देने के लिए ट्रेंड किया जा सकता है। रिसर्च को मेडिकल इमेज कंप्यूटिंग व कंप्यूटर असिस्टेड इंटरवेंशन पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रिसर्च जर्नल के तौर पर स्वीकार किया गया है।
रिसर्च से किसको फायदा
एक्सपर्ट्स ने बताया कि अभी तक देश में 63 फीसदी लोग कोई भी त्वचा से जुड़ी बीमारी के लिए तुरंत डॉक्टर के पास नहीं जाते। बाद में यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। ऐसे में यह एल्गोरिदम एआई के साथ ऐप के रूप में तैयार होगा जिससे महज फोटो खींचकर ही त्वचा संबंधित विकार का पता लगाना आसान हो जाएगा। एआई बेस्ड सिस्टम के जरिए अपनी उलझान को सुलझा पाएंगे।
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क्या है नई तकनीक
यह रिसर्च आईआईटी भिलाई के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गगन राज गुप्ता के नेतृत्व में हुई है, जिसमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च भोपाल के विशेषज्ञ भी शामिल रहे। एक्सपर्ट्स ने बताया कि डार्क स्किन टोन को एआई ठीक तरह से नहीं समझ पाता है। ऐसे में एआई की समझ बढ़ाने के लिए आईआईटी ने नया एल्गोदिम बनाया जिसे पैच एलायन नाम दिया। यह एल्गोरिदम मरीज की स्किन की फोटो को छोटे-छोटे पैच में विभाजित करता है।