पटवारी को दो किस्तों में 30 हजार देने पर राजी नामांतरण को लेकर पटवारी कार्यालय के कई चक्कर काटने के बावजूद काम नहीं होने से परेशान आवेदिका पटवारी को दो किस्तों में 30 हजार रुपए देने पर राजी हुई। पटवारी को राशि देने के दौरान आवेदिका अपने 22 वर्षीय बेटे मनीष राजपूत के साथ पहुंची थी, जहां आवेदिका के बेटे ने पटवारी को घूस की राशि लेते हुए मोबाइल के कैमरे से रिकार्ड कर लिया। इसके बावजूद 27 नवम्बर को राजस्व मंडल रायपुर के आदेश का हवाला देकर फिर से जमीन का नामांतरण करते हुए अनावेदक नरेन्द्र राजपूत के नाम पर जमीन कर दी। इससे नाराज आवेदिका ने मंगलवार को कलक्टर जनदर्शन में तथ्यों के साथ हलका पटवारी के विरुद्ध शिकायत की। कलक्टर कार्तिकेया गोयल के निर्देश पर साजा एसडीएम केएस मंडावी ने मामले की जांच में शिकायत सही पाए जाने पर हलका क्रमांक22 के पटवारी केदारनाथ साहू को निलंबित करते हुए कानूनगो शाखा साजा में अटैच कर दिया है।
यह है मामला
आवेदिका ने बताया कि उनकी पैतृक संपत्ति में 15 एकड़ कृषि भूमि व पुश्तैनी मकान है। इस संपत्ति पर 5 बहन, एक भाई व मां का बराबर का हिस्सा है। लंबी बीमारी से पिता नारद राजपूत का वर्ष 2009 में स्वर्गवास हो गया। पिता की बीमारी के दौरान भाई नरेन्द्र राजपूत ने उनसे 10 रुपए के स्टाम्प में पैतृक संपत्ति अपने नाम लिखवा ली। इसका खुलासा वर्ष 2009 में पिता के स्वर्गवास के बाद हुआ। जब अनावेदक 15 एकड़ भूमि पर हुई फसल को मां व आवेदिका को देने से इंकार कर दिया। जहां उसने पैतृक संपत्ति अपने नाम पर होने की बात कही। गौरतलब हो कि आवेदिका अपने बेटे व मां के साथ मायका गातापार में रहती हैं।
आवेदिका ने बताया कि उनकी पैतृक संपत्ति में 15 एकड़ कृषि भूमि व पुश्तैनी मकान है। इस संपत्ति पर 5 बहन, एक भाई व मां का बराबर का हिस्सा है। लंबी बीमारी से पिता नारद राजपूत का वर्ष 2009 में स्वर्गवास हो गया। पिता की बीमारी के दौरान भाई नरेन्द्र राजपूत ने उनसे 10 रुपए के स्टाम्प में पैतृक संपत्ति अपने नाम लिखवा ली। इसका खुलासा वर्ष 2009 में पिता के स्वर्गवास के बाद हुआ। जब अनावेदक 15 एकड़ भूमि पर हुई फसल को मां व आवेदिका को देने से इंकार कर दिया। जहां उसने पैतृक संपत्ति अपने नाम पर होने की बात कही। गौरतलब हो कि आवेदिका अपने बेटे व मां के साथ मायका गातापार में रहती हैं।
फैसला आवेदिका के पक्ष में
आवेदिका के अनुसार, उसके भाई द्वारा धोखाधड़़ी कर बीमार पिता से पैतृक संपत्ति को अपने नाम लिखवाने का खुलासा होने पर प्रकरण एसडीएम न्यायालय में अपील की गई। जहां फैसला आवेदिका के पक्ष में आया। इसके बाद अनावेदक इस फैसले के विरोध में अपर आयुक्त दुर्ग न्यायालय में अपील की। अपर आयुक्त न्यायालय में भी फैसला आवेदिका के पक्ष में आने पर नामांतरण के लिए हलका पटवारी को फैसले के प्रति सौपी गई। लेकिन संबंधित पटवारी नामांतरण के एवज में 30 हजार रुपए की मांग करने लगा।
आवेदिका के अनुसार, उसके भाई द्वारा धोखाधड़़ी कर बीमार पिता से पैतृक संपत्ति को अपने नाम लिखवाने का खुलासा होने पर प्रकरण एसडीएम न्यायालय में अपील की गई। जहां फैसला आवेदिका के पक्ष में आया। इसके बाद अनावेदक इस फैसले के विरोध में अपर आयुक्त दुर्ग न्यायालय में अपील की। अपर आयुक्त न्यायालय में भी फैसला आवेदिका के पक्ष में आने पर नामांतरण के लिए हलका पटवारी को फैसले के प्रति सौपी गई। लेकिन संबंधित पटवारी नामांतरण के एवज में 30 हजार रुपए की मांग करने लगा।
राजस्व मंडल में अनावेदक के पक्ष में दिया था फैसला
मामले में राशि देने के बाद पटवारी ने 26 जुलाई 2017 को पैतृक संपत्ति का नामांतरण कर सभी भाई, बहन व मां के नाम पर भूमि कर दिया। इसके बाद अनावेदक नरेंद्र राजपूत द्वारा राजस्व मंडल, रायपुर में अपील किए जाने पर अपर आयुक्त दुर्ग के आदेश पर रोक लगाते हुए नामांतरण की प्रक्रियाको आगामी आदेश तक रोकने के आदेश जारी किया। इस आदेश के जारी होते ही पटवारी ने फिर से नामांतरण करते हुए 27 नवम्बर को जमीन का मालिकाना हक अनावेदक के नाम पर कर दिया।
मामले में राशि देने के बाद पटवारी ने 26 जुलाई 2017 को पैतृक संपत्ति का नामांतरण कर सभी भाई, बहन व मां के नाम पर भूमि कर दिया। इसके बाद अनावेदक नरेंद्र राजपूत द्वारा राजस्व मंडल, रायपुर में अपील किए जाने पर अपर आयुक्त दुर्ग के आदेश पर रोक लगाते हुए नामांतरण की प्रक्रियाको आगामी आदेश तक रोकने के आदेश जारी किया। इस आदेश के जारी होते ही पटवारी ने फिर से नामांतरण करते हुए 27 नवम्बर को जमीन का मालिकाना हक अनावेदक के नाम पर कर दिया।