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CG Fruit Hub: धान के साथ केले-पपीते का 500 करोड़ से ज्यादा का कारोबार, विदेशों में भी है डिमांड

CG Fruit Hub: टमाटर की पैदावार में दुर्ग प्रदेश में पहले ही अव्वल है, वहीं अब केले और पपीते की पैदावार भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

भिलाईNov 04, 2024 / 08:35 am

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CG Fruit Hub: धान के साथ दुर्ग जिले में उद्यानिकी फसलों की भी बंपर पैदावार हो रही है। टमाटर की पैदावार में दुर्ग प्रदेश में पहले ही अव्वल है, वहीं अब केले और पपीते की पैदावार भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। जिले में हर साल करीब 53 हजार मीट्रिक टन केले और 52 हजार मीट्रिक टन पपीते की पैदावार हो रही है। थोक बाजार में इनकी कीमत औसत 5 रुपए किलो भी माने तो इससे करीब 500 करोड़ का कारोबार हो रहा है।
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दुर्ग जिले में 1 लाख 19 हजार हेक्टेयर में खेती होती है। इनमें से उद्यानिकी फसलों का रकबा करीब 45 हजार हेक्टेयर है। उद्यानिकी फसलों में जिले में सर्वाधिक करीब 34 हजार हेक्टेयर में सब्जियों की खेती होती है। इसके बाद फलों का नंबर आता है। जिले में 6 हजार 319 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस समय फलों की खेती हो रही है। इसमें 1894 हेक्टेयर क्षेत्रफल केले का और 1304 हेक्टेयर रकबा पपीते का है। इन दोनों फसलों की पैदावार 1 लाख 5 हजार मीट्रिक टन से भी ज्यादा है।

यह है पैदावार की गणित

केले की खेती में एक पौधे में कम से कम 25 से 35 किलो फल लगता है। एक एकड़ में 1200 से 1300 पौधे लगते हैं। इस तरह प्रति एकड़ पैदावार 30 से 35 टन प्रति एकड़ तक निश्चित होती है। केले की फसल तीन सीजन तक फल देता है।
पपीते के एक एकड़ में 1500 तक पौधे लगाए जा सकते हैं। इससे प्रति पौधा 40 से 50 किलो तक पैदावार ली जा सकती है। इस तरह पैदावार 50 टन प्रति एकड़ ज्यादा होती है। पपीते को देखभाल व सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है।

धान के मुकाबले 5 से 6 गुना तक फायदा

धान की खेती में प्रति एकड़ 16-20 क्विंटल होता है। इससे करीब 37 हजार आमदनी होती है। जबकि खर्च 20 से 25 हजार तक पहुंच जाता है। इस तरह धान में 10 हजार प्रति एकड़ कमाई मुश्किल से हो पाती है। वहीं केवल में 50 से 60 हजार प्रति एकड़ लाभ हो जाता है।

अरब देशों और पाक-बांग्लादेश में ज्यादा डिमांड

जिले में उत्पादित उद्यानिकी फसलों की सर्वाधिक डिमांड अरब देशों के अलावा बांग्लादेश व पाकिस्तान में हैं। इनमें टमाटर, शिमला मिर्च, कुंदरू के साथ केला और पपीता भी शामिल है। इसके अलावा देश में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में अच्छी डिमांड है।

वर्ष 2022-23 में

1,19,000 – हेक्टेयर जिले में खेती का रकबा

45,000 – हेक्टेयर में हो रही उद्यानिकी फसलों की खेती

1894 – हेक्टेयर में हो रही है केले की खेती

53,960- मीट्रिक टन पैदा हुआ बीते सीजन में केले की पैदावार
1304 – हेक्टेयर में पपीते की खेती जिले में

51,299 – मीट्रिक टन पपीता का हुआ पैदावार

टमाटर की पैदावार में दुर्ग पहले ही अव्वल

टमाटर के उत्पादन में दुर्ग पहले ही प्रदेश में पहले नंबर पर है। कुछ साल पहले तक जिले में 1 लाख 21 हजार 498 मीट्रिक टन टमाटर पैदा होता था। जो पिछले तीन चार सीजन में बढक़र 1 लाख 90 हजार 140 मीट्रिक टन तक पहुंच गया। यह प्रदेश में किसी भी जिले में एक सीजन में उत्पादित टमाटर का रेकॉर्ड है। हमारे बाद करीब 94 हजार मीट्रिक टन टमाटर उत्पादन के साथ सुदूर जशपुर जिले के नंबर आता है। इस बार भी विपरीत मौसम के बाद भी बंपर पैदावार की स्थिति है।

ज्यादा टमाटर उत्पादक पांच जिले

जिला – क्षेत्रफल हेक्टेयर – पैदावार मीट्रिक टन

दुर्ग – 9,507.00 – 1,90,140.00

जशपुर – 5,720.00 – 94,390.00

मुंगेली – 2,169.00 – 69,517.00

महासमुंद – 2,074.00 – 61,283.00
रायगढ़ – 3,600.00 – 56,249.00

प्रदेश में कुल – 61,635.00 – 10,70,054.00

कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था

जिले में केवल 3 सरकारी कोल्ड स्टोरेज हैं। इनमें से भी एक धमधा में निर्माणाधीन है, जबकि दो की क्षमता बेहद कम व अपर्याप्त है। इसके अलावा करीब आधा दर्जन निजी स्टोरेज हैं, जिनका उपयोग व्यापारिक रूप से दूसरे सामग्रियों के लिए ज्यादा होता है। वहीं टमाटर की प्रोसेसिंग कर सॉस बनाने का एक यूनिट है, वह भी निजी है।

फूड प्रोसेसिंग प्लांट पर हो काम

पूर्ववती सरकार ने जिले में 5 फूड पॉर्क निर्माण की घोषणा की थी। इसमें से दो पॉर्क जिले में प्रस्तावित है। राजधानी रायपुर से लगे पाटन से सांकरा और धमधा में ये इसके तहत फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाना है। इसके लिए जमीन चिन्हित किए गए हैं, लेकिन प्लान पर काम इससे आगे नहीं बढ़ पाया है।

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