यह बेनिफेसिएशन प्लांट अधिक सिलिका गैंग( bhilai Steel plant) वाले 1 मिमी से कम आकार के लौह अयस्क( Bhilai Steel Pant) से सिलिका की मात्रा कम करने के लिए स्थापित किया गया है। यह अत्याधुनिक बेनिफेसिएशन प्लांट( bhilai steel Plant) उपकरणों से सुसज्जित है और इसका उद्देश्य भिलाई इस्पात संयंत्र को आपूर्ति किए जाने वाले लौह अयस्क की गुणवत्ता को बढ़ाना है। इससे ब्लास्ट फर्नेस से हॉट मेटल के वार्षिक उत्पादन में इजाफा होगा। इसके साथ में कोक की खपत और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
60 साल पुरानी है खदान बीएसपी के दल्ली और राजहरा समूह की 60 साल पुरानी खदानों में लौह अयस्क भंडार की गुणवत्ता तेजी से कम हो गई है। एक अध्ययन के जरिए तथ्य सामने आया है कि ब्लास्ट फर्नेस में अनुकूलतम उपयोग वाले वांछित ग्रेड के लिए 1 मिमी से कम आकार के लौह अयस्क को परिष्कृत करने की जरूरत है। दल्ली में मौजूदा क्रशिंग, स्क्रीनिंग और वॉशिंग (सीएसडब्ल्यू) वेट प्लांट के साथ यह लगभग 149 करोड़ से अधिक के निवेश से बना सिलिका रिडक्शन प्लांट है।
सेल अध्यक्ष ने भी की तारीफ इस मौके पर सेल अध्यक्ष, अमरेंदु प्रकाश ने बताया कि सिलिका कटौती के लिए यह बेनिफेसिएशन प्लांट (सिलिका रिडक्शन प्लांट) सेल के टिकाऊ इस्पात उत्पादन की दिशा में अहम कदम है, जो भारतीय इस्पात उद्योग को डीकार्बोनाइज करने की इस्पात मंत्रालय की पहल के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहा है।
हरित इस्पात पर फोकस इस्पात मंत्रालय का ध्यान घरेलू इस्पात उद्योग में डी-कार्बोनाइजेशन ( Bhilai Steel Plant) को बढ़ावा देने की ओर है। इस्पात उद्योग के सहयोग से हरित इस्पात उत्पादन के लिए दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करने पर फोकस है। सेल खुद कार्बन न्यूट्रिलिटी( carbon Neutrility) के राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ जुड़ा हुआ है। बेनिफेसिएशन प्लांटएक अहम कदम है। निम्न श्रेणी के लौह अयस्क को बेनिफेसिएशन के जरिए उपयोगी बनाकर इस्तेमाल करने के सेल के प्रयास का एक हिस्सा है।
मंत्री ने सराहा इस मौके पर केंद्रीय इस्पात मंत्री ने अपनी तरह की इस पहली तकनीकी पहल पर सेल के प्रयासों की सराहना किया। उन्होंने पिछले 9 साल के दौरान इस्पात उद्योग ने जो बड़े कदम उठाए उनका उल्लेख किया। इस अवधि के दौरान देश में इस्पात उत्पादन और प्रति व्यक्ति इस्पात खपत में इजाफा देखा गया है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन गया है।