टीडीएस अधिक होने से क्या होता है दिक्कत
पानी में टीडीएस 500 से कम होना चाहिए। इसके अधिक होने से हजम नहीं होगा, पेट में हो जाएगी दिक्कत, अधिक टीडीएस वाला पानी पीने से व्यक्ति को उल्टी दस्त, बुखार, घबराहट होने की शिकायत होती है। टीडीएस अधिक वाला पानी उपयोग करने से किडनी में पथरी के साथ कई तरह की बीमारियां हो सकती।
यहां मिला बैक्टीरिया
वार्ड-42 के गौतम नगर के शीतला मंदिर, पाइप लाइन के पानी की जांच की गई। तब उसमें ईकालीफार्म व एचटूएस बैक्टीरिया पाया गया है, इस वजह से इस पानी का उपयोग करना नुकसान दायक होगा। जांच में इस पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं करने कहा गया है। वहीं लोग इस पानी का नियमित उपयोग कर रहे हैं। इसी तरह से टी तिरुपति राव के पाइप लाइन का हाल है। वहां भी जांच में बैक्टीरिया पाया गया है। टी दिलेश्वर राव के पाइप लाइन के पानी का सैंपल जांच करने पर भी बैक्टीरिया मिला है।
मल में मौजूद जीव है कोलीफॉर्म बैक्टीरिया
कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पर्यावरण में और सभी गर्म रक्त वाले जानवरों और मनुष्यों के मल में मौजूद जीव हैं। कोलीफॉर्म बैक्टीरिया से बीमारी होने की संभावना नहीं होती। अधिकतर रोगाणु जो पानी की आपूर्ति को दूषित कर सकते हैं, वे मनुष्यों या जानवरों के मल से आते हैं। कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के लिए परीक्षण करना अपेक्षाकृत आसान और सस्ता है।
जोन-4 के पावर पंप के पानी में कितना है टीडीएस
जोन-4 के वार्ड-46 में एक स्थान से सैंपल लिया गया दुर्गा मंदिर वार्ड में तो वहां टीडीएस 790 था, दसरे स्थान पर 3208 था, तीसरे स्थान पर 2881 था, चौंथे स्थान पर 2868 मिला है। इस तरह से यह पानी लोगों के लिए पीने योग्य नहीं है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट होने के बाद भी निगम ने अब तक वहां के बोरिंग या पंप को बंद नहीं किया है।
टीडीएस अधिक होने से पीने में उपयोग नहीं करें पानी
बृजेश श्रीवास्तव, प्रभारी अधिकारी, जलकार्य, फिल्टर प्लांट ने बताया कि जांच में टीडीएस अधिक और बैक्ट्रीरिया मिलने की वजह से पानी पीने से मना किया गया है। ऐसे पानी का लगातार उपयोग करने से, नुकसान होने की आशंका रहती है।