गुरू आचार्य रामलाल महाराज की अनुमति के बाद उनकी शिष्या महासती हेमप्रभा ने पुष्पादेवी को तिविहार संथारा का व्रत धारण कराया। इसके लिए उन्होंने पुष्पा देवी को गुरू आज्ञा की जानकारी देकर व्रत की प्रक्रिया समझाई। इसके बाद उन्होंने विधिवत संथारा लिया।
पुष्पादेवी के पुत्र साइंस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अभिनेष सुराना ने बताया कि मां करीब ६ से अस्वस्थ्य हैं। इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उनकी अधिक उम्र को देखते हुए घर में ही उपचार कराने की सलाह दी। इस पर उन्हें घर लाया गया। इसके बाद उन्होंने संथारा की इच्छा जाहिर की।
पुष्पादेवी तिविहार संथारा कर रहीं हैं। जैन समाज के प्रतिनिधियों के मुताबिक इसमें साधक के मांगे जाने पर ही केवल पानी दिए जाने की अनुमति होती है। जबकि चौविहार संथारा में इसकी भी अनुमति नहीं होती।
चार माह के भीतर शहर में यह दूसरी संथारा है। इसके पहले इसी साल फरवरी में महावीर कॉलोनी की शोभा देवी पति टीकमचंद भंडारी ने संथारा लिया था। इसके पूर्व अगस्त 2015 में दिगंबर संप्रदाय के मुनि आध्यात्म सागर ने भी यहां संलेखना कर देह त्याग किया था।