बीएसपी के तत्कालीन एमडी आर राममाजू के कार्यकाल में कला मंदिर की सुविधाओं को बढ़ाने योजना भी बनी थी। स्वयं तत्कालीन एमडी ने स्वयं रूचि लेकर क्रीड़ा सांस्कृतिक एवं नगर सेवा विभाग के कुछ लोगों को मुंबई के सणमुखनंद हॉल को देखने भी भेजा था,लेकिन उनके जाने के बाद यह प्लानिंग धरी ही रह गई। कलाकारों के अनुसार एक कल्चरल हाउस के लिए सर्वसुविधायुक्त ग्रीन रूम, बेहतर साउंड सिस्टम, कलाकरों को सीधे स्टेज तक पहुंचने का रास्ता, दर्शकों के आने और जाने के लिए अलग से दरवाजे आदि प्रमुख है। इंफ्रास्ट्रक्चर की दृष्टि से कला मंदिर में यह सारी चीजें मौजूद है। अब इसे और बेहतर बनाए जाने के बाद यह शहर का सबसे अच्छा ऑडिटोरियम होगा।
बीएसपी की ओर से 1962 में चित्र मंदिर का लोकापर्ण किया गया। तब 15 अगस्त को जंगली फिल्म के साथ इसकी शुरुआत हुई थी। तत्कालीन जनरल मैनेजर सुक्कु सेन ने इसका उद्घाटन किया था। तब से लेकर 1989 तक यहां कई मशहूर फिल्में प्रदर्शित की गई। 60 के दशक में जब भिलाई में मनोरंजन के साधन के नाम पर चटाई के घेरे वाले सिनेमाघर हुआ करते थे, तब टाउनशिप में बना चित्र मंदिर लोगों के बीच स्टेटस सिंबाल भी बना हुआ था। इस दौरान रशियन फिल्मों के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषा की फिल्में भी लगती थी। रशियन्स के कई कार्यक्रम भी होते थे, लेकिन 1985 में वीडियो का दौर आने और सरकारी सिनेमाघर होने से तत्काल रिलीज फिल्मों नहीं मिलती थी, जिसकी वजह से यह चित्र मंदिर कला मंदिर में तब्दील हो गया। बीएसपी के के पुराने रिटायर्ड लोगों को आज भी वह दिन याद है, जब पहली बार लगी जंगली फिल्म के गीत… करूं में क्या सुक्कू-सुक्कू को तत्कालीन जीएम सुक्कु सेन ने तीन बार रिवाइंड करवा कर देखा था।
कला मंदिर को अंदर से लेकर बाहर तक को बदला जा रहा है। यहां आकर्षक फॉल सीलिंग के साथ ही साउंड सिस्टम भी स्पेशल होगा। खासकर कल्चरल प्रोग्राम के हिसाब से लाइटिंग, वर्कशॉप, सेमिनार के लिए प्रोजक्टर जैसी व्यव्वस्था के सााथ ही सेंट्रलाइज एसी की भी सुविधा होगी। कला मंदिर के कैंपस में पार्किग की सुविधा तो पहले ही बेहतर थी इसे और भी सिस्टमेटिक बनाया जा रहा है।