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भरतपुर

सभागार में दो मंत्री व तीन विधायक गिनाते रहे उपलब्धियां, बाहर दो घंटे इंतजार कर लौटी महिलाएं

-राज्य सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल की बता रहे थे उपलब्धियां, गणेश नगर कॉलोनी की एक दर्जन महिलाएं आईं थी समस्या लेकर-समस्या सुनने के बजाय पुलिसकर्मी भेजकर नारेबाजी करने से रोका, महिलाओं ने भी किया हंगामा

भरतपुरDec 24, 2020 / 11:18 am

Meghshyam Parashar

सभागार में दो मंत्री व तीन विधायक गिनाते रहे उपलब्धियां, बाहर दो घंटे इंतजार कर लौटी महिलाएं

सभागार में दो मंत्री व तीन विधायक गिनाते रहे उपलब्धियां, बाहर दो घंटे इंतजार कर लौटी महिलाएं

भरतपुर. राज्य सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर बुधवार शाम कलक्ट्रेट सभागार में दो मंत्री व तीन विधायक उपलब्धियों को गिना रहे थे तो बाहर गणेश नगर कॉलोनी की एक दर्जन से अधिक महिलाएं जलभराव व सड़क की समस्या को लेकर नारेबाजी करती रही, लेकिन किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली। करीब दो घंटे तक इंतजार करने के बाद महिलाएं वापस लौट गई।
गणेश नगर कॉलोनी की महिलाएं स्नेहलता के नेतृत्व में जलभराव, कीचढ़, सड़क, नालियां आदि की समस्याओं को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन देने के लिए आई थी। उस समय कलक्ट्रेट सभागार में सरकार की दो साल की उपलब्धियां बताने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें वै से विधायक व राज्यमंत्री भजनलाल जाटव व महिला एवं बाल विकास विभाग, जन अभाव निराकरण, अल्पसंख्यक मामलात व वक्फ विभाग राज्यमंत्री ममता भूपेश, नगर के विधायक वाजिब अली, नदबई विधायक जोगिन्दर सिंह अवाना, जिला कलक्टर नथमल डिडेल, एसपी डॉ. अमनसिंह कपूर, एडीएम प्रशासन बीना महावर, एडीएम सिटी डॉ. राजेश गोयल, एसडीएम दामोदर, नगर निगम आयुक्त नीलिमा तक्षक समेत तमाम अधिकारी मौजूद थे। महिलाओं काफी देर तक प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की तो कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने एक पुलिसकर्मी को उन्हें शांत कराने के लिए भेजा। इस पर वहां पहले से मौजूद मथुरा गेट थाने में कार्यरत प्रशिक्षु आरपीएस पूनम ने महिलाओं की बात सुनी और उन्हें कलक्ट्रेट परिसर में ही स्थित एसडीएम व एडीएम प्रशासन के चैंबर तक लेकर गई, लेकिन वहां दोनों ही अधिकारी मौजूद नहीं थे। इस पर उन्हें गुरुवार को आकर ज्ञापन देने के लिए कह दिया गया। करीब दो घंटे तक इंतजार करने के बाद वे सभी महिलाएं अधिकारियों को कोसते हुए वापस लौट गई।
बड़ा सवाल…समस्याओं का निराकरण ही असल उपलब्धि

इस प्रकरण को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि जिन उपलब्धियों को कार्यक्रम के माध्यम से गिनाया जा रहा था, वह लगभग आमजन को पता है या उनका लाभ मिला या नहीं यह भी उनको पता है। असल उपलब्धि आमजन की समस्याओं का निराकरण करना है। अगर साफ तौर पर जबावदेही तय नहीं होगी तो समस्याओं का निराकरण होना भी असंभव है। जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए था कि पहले उन महिलाओं की समस्या को सुनना था, ताकि सरकार की असल उपलब्धि व मंशा के अनुसार उनकी समस्याओं का निराकरण कराने के साथ ही उन्हें हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया जा सके।
महिलाएं बोली: हमारी चिंता कौन करे, ये सब एक जैसे

वापस घर लौट रही महिलाओं ने बताया कि इससे पहले भी दो बार वह ज्ञापन देकर समस्या से अवगत करा चुकी हैं। जलभराव के कारण कॉलोनी में आए दिन झगड़े होते रहते हैं। ऐसे में नालियां नहीं होने के कारण पड़ोसियों से विवाद की बात आम हो चुकी है। अब तीसरी बार ज्ञापन देने आए तो किसी ने उनकी समस्या जानना तक उचित नहीं समझा। अब किसी दिन पूरे दिन के हिसाब से कलक्ट्रेट में आकर बैठ जाएंगे ताकि कोई न कोई अधिकारी या नेता तो हमारी समस्या को सुनेगा।

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