उनके द्वारा विशेष तौर पर रोटी, सब्जी और दाल पर निर्भर रहने की बजाय अपनी डाइट में मॉडिफाई किया जा रहा है। डाइट में अब वे फल, ज्यूस व सलाद आदि को शामिल कर रहे हैं, ताकि बॉडी को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सकें, कम कैलोरी और पर्याप्त ताकत मिल सके। सेहत को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा सबसे पहले अनाज में खासा बदलाव किया है। अब नई पीढी पहले की तरह रोजाना गेहूं, बाजरा, मक्का, जौ, चना के आटे की रोटी ही नही अपितु दलिया, ओट्स, सूजी, कुट्टू का आटा, चावल आदि से भी परहेज करने लगे हैं। उनका मानना है कि गेहूं का आटा भले ही हेल्दी होता है, लेकिन ये वजन बढ़ाने में बेहद असरदार है।
पोषक तत्वों की बात करें तो गेहूं के आटा में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी प्रचुर मात्रा में होता है। हमारे देश में लगभग हर घर में गेहूं के आटे का सेवन किया जाता है जो मोटापा बढ़ने का कारण है। गेहूं के आटे में ग्लूटेन होता है। ग्लूटेन एक प्रोटीन होता है जो गेहूं, जौ, राई और ट्रिटिकेल में पाया जाता है। इस आटे का लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से आंत से संबंधित रोग सीलिएक हो जाता है जो छोटी आंत को नुकसान पहुंचा सकता है। इतना ही नहीं इन सभी अनाजों से तैयार फूड्स वजन बढ़ाने का काम करते हैं। इन अनाज में कैलोरी ज्यादा होती है जो वजन वजन कम नहीं होने देते। वहीं वजन कम करना के लिए कैलोरी को कम करना आवश्यक है। क्योंकि एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट में चार ग्राम कैलोरी होती है।
भूख मिटाने को फल व सलाद पर जोर नई युवा पीढ़ी पेट की भूख मिटाने के लिए अब दाल-रोटी के बजाय फल व सलाद पर जोर देने लगी है। फलों में खासतौर पर सेब, अनार, अमरूद, नाशपाती, तरबूज और खरबूजे का सेवन करने लगे हैं। इनके अलावा अन्य प्रकार के सभी फल एवं ज्यूस मौसम के अनुसार खाने शामिल करने लगे हैं।
वहीं सलाद में गाजर, मूली, प्याज, टमाटर, खीरा आदि का खास सेवन करते हैं, ताकि इनका सेवन सेहत को भी फायदा पहुचाए और वजन भी कंट्रोल रह सकेे। इतना ही नहीं वेट लॉस करने के लिए वे ऑयल फ्री सब्जियां पकाकर खाने पर जोर दे रहे हैं। घी, तेल आदि चिकनाई सहित फ्राइड फूड्स को भी अक्सर अवॉइड कर रहे हैं।
पत्रिका रिपोर्टर ने एक सप्ताह में सेहत की दृष्टि से खान-पान को लेकर नई युवा पीढ़ी के 100 युवक एवं युवतियों से कई बिंदुओं पर बातचीत की गई। जिसमें सामने आया कि 40 प्रतिशत युवा सेहत का विशेष ख्याल रखते हैं, वे खाने में दाल-रोटी की बजाय फल, ज्यूस, सलाद, ऑइल फ्री फूड्स को प्राथमिकता देते हैं, ताकि वजन कंट्रोल रहे और एनरजेटिक बने रहें। वहीं 35 प्रतिशत युवाओं का कहना था कि वे भी एनरजेटिक बनना और वजन को कंट्रोल करना चाहते हैं। लेकिन महंगाई आड़े आ जाती है।
रोजाना फल, ज्यूस, सलाद खाकर पेट की भूख मिटाना संभवन नहीं हो पाता, क्योंकि दाल-रोटी की अपेक्षाकृत इनका उपयोग महंगा पड़ता है। फिर भी हम रोजाना नहीं तो सप्ताह में दो-तीन दिन इनका उपयोग कर ही लेते हैं। वहीं 25 फीसदी युवा ऐसे पाए गए, जिनका कहना था कि घर में खाने-पीने को जो भी मिलता है, वैसा ही खा-पी लेते हैं।