भरतपुर

जिस साईलेंस जोन की प्रशासन करता रहा अनदेखा, लॉक डाउन ने बदली तस्वीर

विश्वविख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के आसपास इन दिनों अलग ही नजारा दिखाई पड़ रहा है। घना के सामने जिस आगरा-जयपुर हाई-वे पर दिन-रात वाहनों का शोरगुल रहता था, वह इन दिनों शांत दिख रहा है।

भरतपुरApr 29, 2020 / 08:34 pm

rohit sharma

जिस साईलेंस जोन की प्रशासन करता रहा अनदेखा, लॉक डाउन ने बदली तस्वीर

भरतपुर. विश्वविख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के आसपास इन दिनों अलग ही नजारा दिखाई पड़ रहा है। घना के सामने जिस आगरा-जयपुर हाई-वे पर दिन-रात वाहनों का शोरगुल रहता था, वह इन दिनों शांत दिख रहा है। वैसे तो उद्यान के आसपास साईलेंस जोन घोषित है लेकिन पालना नहीं होने से पक्षियों की दुनिया में शोरगुल खलल पैदा कर रहा है। लेकिन लॉक डाउन लागू होने से करीब एक माह से घना और बाहरी क्षेत्र की तस्वीर बदल गई है। शोरगुल थमने से वन्यजीव बेझिझक होकर विचरण कर रहे हैं। गौरतलब रहे कि प्रदेश में लॉक डाउन लागू होने पर कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए केवलादेव उद्यान को पर्यटकों के लिए 18 मार्च से बंद कर दिया था।

इस बार जल्द हो सकती है नेस्टिंग

वैसे तो उद्यान में मानसून से पहले पक्षी दस्तक देते हैं। लेकिन इस बार पक्षियों के जल्द पहुंचने और नेस्टिंग की शुरुआत करने की संभावना है। हालांकि, अभी घना में स्थानीय पक्षी बने हुए हैं। इसमें से पैराडाइज प्लाई केचर, फूड पैकर, मैना, कॉमन बवलर, किंगफिशर, विटन, लैपटिंग, स्टॉन करलू, लॉर्ज पिपेट आदि ने ब्रीड करना शुरू कर दिया है। जबकि ग्रे-हेरन का जोड़ा पिछले सप्ताह उद्यान के दो ब्लॉकों में ब्रीड कर चुका है। इनके बच्चे भी दिख रहे हैं। जबकि अममून यह मानसून के समय ब्रीड करते हैं।

पहले घंटों का इतंजार, अब आसानी से नजर

घना में पहले पक्षियों को निहारने के लिए पर्यटकों को काफी इतंजार करना पड़ता था। अब वो ही पक्षी आसानी से नजर आ रहे हैं। उद्यान की जिन सड़कों पर पर्यटकों की आवाजाही थी, वहां पर अब पक्षियों का डेरा है। ये आराम से एक से दूसरे ब्लॉक में सड़क से निकलते दिख जाएंगे। वहीं, वन्यजीव चीतल, सांभर, हॉग डियर भी बैरियर से मुख्य गेट के बीच घूमते दिख रहे हैं। पूर्व रेंजर अबरार खां भोलू ने बताया कि शांत वातावरण किसे पसंद नहीं है। इस समय वन्यजीवों के लिए पूरी तरह जंगल का माहौल हो गया है। जिससे ब्रीड व नेस्टिंग करने में उन्हें बेहतर वातावरण मिल सकेगा। वहीं, घना के आसपास कॉलोनियों में पहले जो पक्षी नजर नहीं आते थे, उन्हें देख लोग आश्चर्यचकित हैं।

500 मीटर में घोषित है साईलेंस जोन


गौरतलब रहे कि घना के सामने हाई-वे और आसपास शोरगुल बढऩे पर पत्रिका ने पूर्व में मुद्दा उठाया था। जिस पर तत्कालीन जिला कलक्टर गौरव गोयल ने वन विभाग के प्रमुख शासन सचिव को पत्र लिखा था। उसके बाद राज्य सरकार ने घना की 500 मीटर की परिधि में साईलेंस जोन घोषित कर दिया था। इसके तहत राज्य सरकार ने ध्वनि प्रदूषण नियम 2000, नियम 3 (2) के तहत इस क्षेत्र केा साईलेंस जोन घोषित कर दिया था।

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