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भरतपुर

रास्ता कठिन था, हौसलों की डगर से हरा दिया डर

– दो बेटियों को काबिल बनाकर दिखाया रास्ता

भरतपुरMay 08, 2022 / 07:11 am

Meghshyam Parashar

रास्ता कठिन था, हौसलों की डगर से हरा दिया डर

रास्ता कठिन था, हौसलों की डगर से हरा दिया डर

भरतपुर . पति की मौत ने मुझे झकझोर दिया। कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। दो बेटियों की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर थी। सामाजिक ताने-बाने में एकबारगी बेटे की कमी जरूर खली, लेकिन मैं और मेरी दोनों बेटियां एक-दूसरे का हौसला बन गई। बेटियों के सिर से पिता का साया उठने के बाद यह डगर कतई आसान नहीं थाी, लेकिन हौसलों ने डर को हराकर आगे के सफर को आसान बना दिया। यह कहानी है महारानी श्री जया महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुनीता कुलश्रेष्ठ का।
डॉ. कुलश्रेष्ठ बताती हैं कि वर्ष 2017 में उनके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इस समय बड़ी बेटी प्रेक्ष्या (23) एवं छोटी बेटी समृद्धि (18) वर्ष की थीं। पति की मौत ने मुझे घनघोर अंधेरी दुनिया की ओर धकेल दिया, जिससे बाहर निकलना बेहद मुश्किल लग रहा था, लेकिन इस बीच हम मां-बेटी एक-दूसरे की ताकत बनीं। डॉ. सुनीता बताती हैं कि मेरे डिप्रेशन में आने के बाद बड़ी बेटी ने मुझे हौसला दिया कि मम्मा आप चिंता नहीं करें, पापा ने हमें बहुत स्ट्रांग बनाया है। यह शब्द मेरे ताकत बने। उस समय प्रेक्ष्या लॉ कर रही थी, जबकि समृद्धि बीटेक की पढ़ाई में जुटी थी। आगे की पढ़ाई के लिए भी निर्णय लेने में खुद को असहज महसूस किया, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि अब बेटियों की बेहतर जिंदगी का निर्णय मुझे ही लेना है। कई मर्तबा ऐसा हुआ कि बेटियों को बाहर छोडऩे जाती तो अंदर डर घर कर जाता, लेकिन बेटियों ने ठान लिया था कि पापा के सपनों को पूरा करना है। बस, इन्हीं ख्वाबों को पूरा करने की जद्दोजहद में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। डॉ. कुलश्रेष्ठ बताती हैं कि अब प्रेक्ष्या रेडिया मिर्ची में आरजे हैं, जबकि समृद्धि नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में वरिष्ठ कैरियर सलाहकार हैं।
रास्ता किया तय और बढ़ गई आगे

डॉ. कुलश्रेष्ठ बताती हैं कि मां की ममता ऐसा शब्द है, जिसके आगे दुनिया की हर चीज छोटी नजर आती है। बेटियों ने जब मुझे हौसला दिया तो मेरी ममता का सागर भी उमड़ पड़ा। मैंने इसी क्षण ठान लिया था कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हों, मैं अपनी बेटियों को पापा की कमी नहीं अखरने दूंगी। वह कभी भी खुद को कमजोर नहीं आंकें, इसके लिए मैंने भरसक प्रयास किए। आज इसी परिवरिश की देन है कि मेरी दोनों बेटियां समाज की जिम्मेदार नागरिक होने के साथ अच्छे पद पर कार्य कर रही हैं।

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