भरतपुर

खुद रहे पहाड़, आपदा मार रही दहाड़

– नहीं बचीं पर्वतमाला तो घेर लेंगी आपदा- खनन से बिगड़ रहा प्रकृति का तंत्र, अवैध विस्फोटक बिगाड़ सकता है संतुलन

भरतपुरJun 05, 2022 / 12:55 pm

Meghshyam Parashar

खुद रहे पहाड़, आपदा मार रही दहाड़

भरतपुर/पहाड़ी . जमींदोज होते पहाड़ बड़ी विपदा को न्यौता देते नजर आ रहे हैं। क्षेत्र में पर्वतमालाओं को सहेजने की बजाय हर कोई खनन के जरिए इनसे खिलवाड़ करता नजर आ रहा है। आलम यह है कि हर किसी में पहाड़़ों को खोदने की होड़ सी मची है। ऐसे में पर्वतमालाओं का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। कई मर्तबा इसको लेकर आवाज उठी है, लेकिन ‘आकाओंÓ की मेहरबानी से अवैध खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है।
पहाड़ी उपखंड में हर किसी की नजर प्रतिबंधित पर्वतमालाओं पर खनन करने पर टिकी है। चारागाह व प्रतिबंधित पहाड़ों में खनन माफिया अवैध खनन करने को लेकर आपस में झगड़ते नजर आते है, लेकिन लालच फिर इन्हें एक मंच पर ले आता है। यही वजह है कि खनन माफिया फिर से समझौता कर खनन में जुट जाते हैं। यह सब खनन माफियाओं के बचाव पक्ष के रसूखदारों के इशारे पर हो रहा है। कामांं, डीग एवं पहाड़ी क्षेत्र में पडऩे वाले प्रतिबंधित पर्वतों को खनन माफिया छलनी करने मे जुटा है। कामां की चरण पहाड़ी व बोलखेड़ा तथा गाधानेर के चारागाह जैसे प्रतिबंधित पहाड़ पर नियमिति खनन का करोबार जोर-शोर जारी है, जो आने वाले समय में मानव जाति के लिए आपदाओं को निमंत्रण दे रहा है। खनन के बाद पहाड़ों ने भयावह रूप धारण कर लिया है, जो चिंता का विषय बन रहा है। खनन क्षेत्र मेंं पौधारोपण व पानी छिड़काव जैसी आवश्यकताओं को दरकिनार कर पर्यावारण को दूषित किया जा रहा है।
रसूखदार कर रहे माफिया का बचाव

अवैध खनन माफियाओं के रसूखात के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती, जब भी अवैध खनन का मामला पकड़ में आता है तो उस लीज धारक को रसूखदार उसे बचाने में जुट जाते हैं। यहां वैध की आड़ में अवैध खनन इन्हीं रसूखदारों के इशारों पर होता है। खास बात यह है कि माफिया का बचाव करते हुए रिपोर्ट में आमजन को नामजद किया जाता है, जिनसे अवैध पत्थर की वसूली नहीं हो पाती है। जानकारों का कहना है कि जब भी आवश्यकता पड़ती है तो मुख्य खनन माफिया अपने रसूख का उपयोग कर निर्दोश लोगों के नाम बताकर कार्रवाई को अंजाम दिला देता है।
अवैध विस्फोटक का उपयोग क्षेत्र पर खतरा

आए दिन खनन के लिए पहाड़ों में होने वाली ब्लास्ंिटग से आसपास के मकान थर्राने लगे हैं। ब्लास्टिक की धमक कस्बों सहित आसपास के गांवों में भी सुनाई पडऩे लगी है। पहाड़ों में अवैध विस्पोटक सामग्री का मिलना तो संकेत मात्र है। आलम यह है कि लालच मेंं नियमों को ताक पर रखकर विस्फोटक सामग्री का चेचान धड़ल्ले से किया जा रहा है। क्षेत्र में जगह-जगह विस्फोट सामग्री के गोदाम संचालित हैं, जो नियमों धज्जियां उड़ाकर विस्फोटक सामग्री बेच रहे हैं।

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