सवाल: अब चुनाव का बहाना, पहले क्या था ? पत्रिका संवाददाता ने जब पुलिस अधिकारियों से बात की तो ज्यादातर ने कहा कि चुनाव ड्यूटी में व्यस्त होने के कारण चोरी की वारदात बढने की बात कही, लेकिन सवाल यह उठता है कि चोरी की वारदातें उससे पहले से ही हो रही है। आखिर उस समय पुलिस कहां थी। शहर में अवैध शराब, जुआ-सट्टा, नशीले पदार्थों की बिक्री का मामला कोई नया नहीं है। यह सबकुछ पुलिस के संरक्षण में ही चल रहा है। खुद पिछली बैठकों में जनप्रतिनिधियों की ओर से भी आरोप लगाए जा चुके हैं, लेकिन सालों से थानों में जमे पुलिसकर्मियों के कारण इन पर रोक नहीं लग पाती है। इससे अपराधियों को भी पूरा सहयोग मिलता है।
हर दिन बाइक चोरी, छह थानों की पुलिस जिला मुख्यालय पर अपराध की रोकथाम के लिए छह थानों की पुलिस के अलावा सीओ सिटी, सीओ ग्रामीण, दो एडिशनल एसपी, एसपी समेत पूरा लवाजमा है, हकीकत यह है कि पुलिस का ढर्रा पिछले कुछ समय से इतना खराब हो चुका है कि न तो निरीक्षण किया जाता है न सुधार की कोशिश की जाती है। आए दिन बाइक चोरी हो रही है। पुलिस सिर्फ रिपोर्ट दर्ज करने तक सीमित होकर रह गई है। यही कारण है कि बदमाश कार्रवाई नहीं होने के कारण दूसरे ही दिन वारदात को अंजाम देने में सफल हो जाते हैं।
मोरी चारबाग: डेढ़ महीने में एक दर्जन से ज्यादा चोरी की वारदात शहर के जनाना अस्पताल के पास स्थित मोरी चार बाग में पिछले डेढ़ महीने के अंदर डेढ़ दर्जन मकानों में चोरी की वारदात हो चुकी है। आश्चर्य की बात यह है कि चोरी करने वाले बदमाश इसी इलाके के हैं। पुलिस को इन बदमाशों के बारे में पता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच का बहाना कर इतिश्री कर ली जाती है। अगर कोई पुलिस नियंत्रण कक्ष में शिकायत भी करे तो संतोषजनक जवाब तक नहीं मिल पाता है। 13 जुलाई को एक रात में तीन स्थानों पर चोरी हुई। पीडि़त पक्ष ने संदिग्धों के नाम भी बताए, लेकिन पुलिस ने जांच के नाम पर खानापूर्ति कर दी। बताते हैं कि मोरी चार बाग के पीछे बड़े स्तर पर जुआ-सट्टा, अवैध शराब का कारोबार हो रहा है। इससे यहां एक गिरोह भी सक्रिय है। इनमें से ज्यादातर नशे के आदी है। यह रात को चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं। कुछ बदमाश जेल से जमानत पर हैं तो कुछ पुलिस की पकड़ से दूर हैं। जानकारों ने बताया कि इन्हीं बदमाशों की ओर से ऐसी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है, जबकि पुलिस की सांठगांठ के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती है।
पुलिस के वजूद पर खड़ा हुआ सवाल
अपराधियों की सक्रियता के पीछे अब लोग पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ को वजह मानने के लिए मजबूर हो गए हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए लोगों ने अब यह कहना शुरू कर दिया है कि पुलिस अपना वजूद और अस्तित्व सियासी कोठरी में गिरवी रख चुकी है। शायद यही वजह है कि वह खुल कर अपराधियों के गिरेबान को कस नहीं पा रही। क्योंकि घटनाओं को बेखौफ हो कर अंजाम देने वालों के सिर पर खाकी का ही हाथ होता है। दबी जुबान लोगों की मानें तो जिले में अपराध बेलगाम होने के पीछे यह एक बड़ी वजह है। अपराध गुनाह की फैलती टहनियों को काटने में पुलिस की नाकामी लोगों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल बन चुकी है। इधर पखवाड़े भर से एकाध दिन छोड़ दिया जाए तो हर रोज अपराधियों ने घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस और कानून दोनों को चुनौती दी है। हाल में ही 26 अगस्त की रात शहर के व्यापारी के पुत्र सहित दो युवकों की हादसे में मौत हुई, पुलिस ने अब तक जानने के बाद भी उस ट्रक को भी नहीं पकड़ा, इससे हादसा हुआ था।
इनका कहना है… -चुनाव ड्यूटी में पुलिस व्यस्त है। सीसीटीवी फुटेज आ चुके हैं। जल्द ही चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जाएगा। साथ ही वारदातों का खुलासा किया जाएगा।
सतीश वर्मा
सीओ सिटी