बाजरे की सूखी कड़बी खा रहीं गाय बदइंतजामी का आलम यह है कि यदि बछड़े और गाय श्वानों से बच जाएं तो भूख-प्यास से बेहाल होकर दम तोडऩे के कगार पर पहुंच जाती हैं। इसकी खास वजह यह है कि तेज गर्मी का मौसम शुरू होने के बाद भी गौशाला में अब तक खाने के लिए बाजरे की कड़बी पहुंच रही है। ऐसे में गाय इसमें मुंह मारकर ही रह जाती हैं। गाय इसे नहीं खा पा रही हैं। ऐसे में गौशाला के बीचोंबीच इसका ढेर लग गया है। गुरुवार को भी एक ट्रॉली बाजरे की कड़बी गौशाला पहुंची, इसे आयुक्त ने तुरंत वापस भेजने के निर्देश दिए। यहां कड़बी लेकर पहुंचे लोगों ने बताया कि बाजरे की कड़बी का भाव 100 रुपए मन है, जबकि इस समय भूसा करीब 140 रुपए मन के हिसाब से आ रहा है। लोगों ने बताया कि कड़बी गायों को कतई नहीं भा रही है। गाय मन मसोसकर महज जिंदा रहने के लिए इसे खा रही हैं।
छाया के नाम पर खुला आसमां, प्यास बुझाने को कीचडय़ुक्त पानी कई बीघा भूमि में फैली गौशाला में गायों को छाया के लिए कोई इंतजाम नहीं है। एकाध जगह टिन शेड है, लेकिन वह करीब दो हजार गायों के लिए अपर्याप्त है। ऐसे में ज्यादातर गाय खुले आसमां तले भीषण गर्मी में रहने को विवश हैं। आलम यह है पीने के लिए गायों को साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। जमीन पर छोड़ा गया पानी कीचड़ युक्त हो जाता है। इसी में से गाय अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं। इन हालातों के चलते यहां गोवंश भूख-प्यास से बेहाल हो रहा है।
मृत गायों को गड्ढों में से निकाल रहे श्वान नंदी गौशाला की बाउंड्री के उस पार मरी हुई गायों को डाला जाता है। गायों को जमीन में गाढ़ दिया जाता है। कई बार यहां घूमने वाले शिकारी श्वान अपनी भूख मिटाने को मृत गायों को गड्ढों में से निकाल लेते हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि यहां श्वानों की संख्या 100 से भी ज्यादा है जो मौका मिलते ही गाय और बछड़ों पर टूट पड़ते हैं। खास बात यह है कि गौशाला की मृत गायों के अलावा यहां बाहर से लाकर भी मृत पशुओं को डाला जा रहा है। ऐसे में यहां दुर्गंध का वातावरण है।
इनका कहना है चारे-पानी की व्यवस्था नगर निगम अपने स्तर पर करा रहा है। जनता साथ जुड़ जाए तो व्यवस्थाओं में जो खामी हैं, उन्हें दूर कर सकते हैं। परोपकार की भावना से हरे चारे एवं सब्जियों की व्यवस्था कर सकते हैं। टिनशेड की स्वीकृति के साथ दो बोरिंग स्वीकृत हो चुकी हैं। विद्युत शव दाह गृह यहां बनाया जाएगा। कुछ समय इसमें लगेगा। मूक-बधिर प्राणियों की हम सबको सुननी चाहिए। कमियों को जल्द दूर किया जाएगा। भविष्य में यहां श्वान नजर नहीं आएंगे। संस्था के जरिए श्वानों को पकड़वाकर बाहर छोड़ा जाएगा।
– डॉ. राजेश गोयल, आयुक्त नगर निगम भरतपुर इनका कहना है सेठ लोग आए हैं गौ सवामनी की शुरुआत की है। गौशाला में गायों के लिए हरा चारा और सब्जियां डाली गई हैं। यह हमको व्यवस्थाएं पूर्ण करके शुरू करनी चाहिए थी। शहर में आवारा पशुओं की ज्यादा समस्या थी। ऐसे में गाय यहां जल्दी शिफ्ट कर दीं। अव्यवस्थाओं को दूर किया जाएगा। पानी-छाया एवं शेड की व्यवस्था कर रहे हैं। श्वानों से गायों की सुरक्षा की जाएगी।
– अभिजीत कुमार, मेयर नगर निगम भरतपुर इनका कहना है यह बहुत ही दुखद है कि श्वान बछड़ों को मार रहे हैं, जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है। गायों के लिए छाया और पानी का भी पर्याप्त इंतजाम नहीं है। ऐसे में यह भूख-प्यास से बेहाल हैं। नगर निगम प्रशासन को यहां गोवंश के लिए बेहतर व्यवस्थाएं करनी चाहिए, जिससे दम तोड़ते गोवंश को बचाया जा सके।
– उदय सिंह, गौसेवक भरतपुर इधर, नई पहल, गोवंश के लिए सवामनी शहर के कुछ लोगों की ओर से महाशिवरात्रि के मौके पर नंदी गौशाला में गौ सवामनी कार्यक्रम की शुरुआत की गई। गुरुवार को इस कार्यक्रम की शुरुआत गौ पूजन एवं गायों को हरा चारा एवं सब्जी खिलाकर की गई। मेयर अभिजीत कुमार एवं आयुक्त डॉ. राजेश गोयल ने बताया कि शहर के कुछ लोगों के मन में विचार आया कि जैसे हम लोगों के लिए सवामनी होती है। वैसे ही गायों के लिए भी सवामनी की जाए। इस कार्यक्रम को गौ सवामनी नाम दिया गया। आयुक्त ने बताया कि जनसामान्य, व्यापारी एवं भामाशाहों को साथ लेकर इसकी शुरुआत की गई है। यह अच्छी पहल है। इससे गोवंश की रक्षा हो सकेगी।