यह बोले लोग कचरा घर की टूटी हुई बाउंड्रीवॉल से कचरा खेतों में आता है। इससे जमीन अनुपजाऊ होती है। साल भर कचरा जलता है। इससे पर्यावरण तो दूषित रहता ही है। खेतों मे खड़ी फसल के जलने का भी डर रहता है। कचरा घर की आग से मेरी गेहूं की फसल जल गई थी।
– दीपक शर्मा, नौंह कचरा घर में कचरा जलता रहने से जो धुंआ निकलता है, उससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। गांव में दमा एवं अस्थमा के मरीज बढ़ ऱहे हैं। सुबह-शाम घूमने वाले लोगों को इसके चलते शारीरिक लाभ नहीं मिलता है। इससे पशुओं में भी बीमारियां पनप रही हैं।
– देवकीनन्दन शर्मा, स्थानीय निवासी नौंह गांव में जबसे कचरा बना है, तब से गांव में मक्खी-मच्छर बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। इसके चलते घरों में खाना-पीना भी मुश्किल हो गया है। कितने भी इंतजामों के बाद घर से मक्खियां निकलती ही नहीं हैं। इससे लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
– यादराम शर्मा, स्थानीय निवासी कचरा घर में सरकारी हॉस्पिटल से भी अपशिष्ट पदार्थ आते हैं। इससे यहां जंगली जानवर बढ़ रहे हैं। इसके चले रात को फसलों की रखवाली करने में खतरा बढ़ रहा है। कचरा घर से कचरा उड़कर खेतों में आ रहा है। इससे फसल खराब होती है। साथ ही वह बंजर भी हो रही है।
– हरमुख कटारा, स्थानीय निवासी पूरे शहर भर से ज्यादा मक्खी-मच्छर हमारे गांव में हैं। दुकान पर खाने-पीने के सामान को बड़ी सावधानी से रखना पड़ता है। ऊपर से कचरा ढोने वाले टेम्पो और ट्रेक्टर-ट्रॅाली से सड़क पर खुले में कचरा उड़ता रहता है। इस गंदगी के चलते आसपास के गांवों की हालत भी खराब है।
– कन्हैया, स्थानीय निवासी
दवा भी बन सकती है स्वास्थ्य के लिए खतरा नौंह में कचरा घर खुलने से नौंह गांव सहित आसपास के गांवों में मक्खी-मच्छरों का प्रकोप कम करने के लिए नगर निगम की ओर से कीटनाशक दवा का छिड़काव करना तय किया है, लेकिन इसका अधिक उपयोग भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। यह दवा छिड़काव करने वाले के स्वास्थ्य को तो प्रभावित करती ही है। साथ ही जहां छिड़काव होता है, उन लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। निगम की ओर से डीडीपीई 76 प्रतिशत एवं मेलाथाइन नामक दवा छिड़काव कराने की जानकारी सामने आई है। यह पांच से आठ एमएल प्रति लीटर के हिसाब से छिड़की जाती है। यह चमड़ी के रास्ते खून में भी पहुंच सकती है। एक तरह से इससे एल्ड्रिन जैसी दवा का असर हो जाता है। इससे सांस की तकलीफ, बेहोशी एवं धड़कन बढऩे जैसी समस्या भी पैदा हो सकती हैं। बचाव के लिए नियमित अंतराल पर कम मात्रा में इसका एहतियात से छिड़काव किया जाना चाहिए।
दवा भी बन सकती है स्वास्थ्य के लिए खतरा नौंह में कचरा घर खुलने से नौंह गांव सहित आसपास के गांवों में मक्खी-मच्छरों का प्रकोप कम करने के लिए नगर निगम की ओर से कीटनाशक दवा का छिड़काव करना तय किया है, लेकिन इसका अधिक उपयोग भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। यह दवा छिड़काव करने वाले के स्वास्थ्य को तो प्रभावित करती ही है। साथ ही जहां छिड़काव होता है, उन लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। निगम की ओर से डीडीपीई 76 प्रतिशत एवं मेलाथाइन नामक दवा छिड़काव कराने की जानकारी सामने आई है। यह पांच से आठ एमएल प्रति लीटर के हिसाब से छिड़की जाती है। यह चमड़ी के रास्ते खून में भी पहुंच सकती है। एक तरह से इससे एल्ड्रिन जैसी दवा का असर हो जाता है। इससे सांस की तकलीफ, बेहोशी एवं धड़कन बढऩे जैसी समस्या भी पैदा हो सकती हैं। बचाव के लिए नियमित अंतराल पर कम मात्रा में इसका एहतियात से छिड़काव किया जाना चाहिए।
– डॉ. मुकेश गुप्ता, एचओडी मेडिकल आरबीएम अस्पताल भरतपुर इनका कहना है मैंने जयपुर में मंगलवार को ही इसकी रेट एप्रूव कराई हैं। अब सात दिन में वर्क ऑर्डर जारी हो जाएगा। कचरा प्लांट का काम मेरी प्राथमिकता में है। कचरा प्लांट की अब बेहतर व्यवस्था की जाएगी।
– डॉ. राजेश गोयल, आयुक्त नगर निगम