scriptसफाई ठेका: करार पर रार, नई व्यवस्था पर पुराने का ‘पलटवार’ | Rar on the agreement, the 'counterattack' of the old on the new system | Patrika News
भरतपुर

सफाई ठेका: करार पर रार, नई व्यवस्था पर पुराने का ‘पलटवार’

-कल नगर निगम की बैठक में दुबारा से रखा जाएगा प्रस्ताव, दोनों ही गुट कर चुके तैयारी

भरतपुरSep 28, 2021 / 03:29 pm

Meghshyam Parashar

सफाई ठेका: करार पर रार, नई व्यवस्था पर पुराने का ‘पलटवार’

सफाई ठेका: करार पर रार, नई व्यवस्था पर पुराने का ‘पलटवार’

भरतपुर. शहर की नई सफाई व्यवस्था को लेकर अब दुबारा से हलचल शुरू हो गई है। अब बात नया ठेका कराने या नहीं कराने वाले पार्षदों के दो गुटों से जुड़ गई है। पार्षदों का एक गुट नई व्यवस्था के विरोध में आ गया है तो दूसरा गुट साधारण सभा की बैठक से पहले कुछ भी बोलने से कतरा रहा है। अब 29 सितंबर को प्रस्तावित नगर निगम की साधारण सभा की बैठक में सभी सात बिंदुओं के साथ ही नई सफाई व्यवस्था का प्रस्ताव रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि नगर निगम की ओर से जून माह में हुई बैठक के एजेंडा में प्रस्ताव संख्या 69 पर भरतपुर शहर की चयनित मुख्य सडक़ों की मैकेनिकल स्वीपिंग, डोर टू डोर कचरा संग्रह और परिवहन कार्य एवं 40 वार्डों की मैनुअल स्वीपिंग की डीपीआर स्वीकृति करने एवं उक्त कार्य पर तीन वर्षों में होने वाले 60.46 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति पर विचार को शामिल किया गया था। इसमें तय हुआ था कि विरोध करने वाले पार्षदों के साथ एक कमेटी बनेगी। जो कि संबंधित शहर का भ्रमण कर रिपोर्ट देगी। चंडीगढ़ भ्रमण को लेकर भी खूब विरोध हुआ। अंत में मेयर समेत 23 पार्षदों का समूह भ्रमण पर भी गया था।
हर बार विवाद, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार…

वर्ष 2018 से शहर के 65 वार्डों की सफाई, कचरा परिवहन, डो टू डोर कचरा कलेक्शन के कार्य का ठेका पुराना ही चल रहा है। जब ठेका कराने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, तब कोई न कोई नोट चलाकर उसे आगे बढ़ाया जाता रहा है। चूंकि सफाई ठेका नगर निगम के लिए कमीशनबाजी का भी बड़ा माध्यम बनता रहा है। नियमों के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार होता रहा है। हालांकि ठेका किसी का भी हो, यह कमीशनखोरी नगर निगम के लिए चुनौती बनी रहेगी। हकीकत यह है कि नगर निगम का बोर्ड भले ही मेयर व पार्षद चलाते हैं, लेकिन ठेकेदार का रुतबा इतना है कि अस्थायी सफाई कर्मचारियों का पीएफ घोटाला हो या कचरा परिवहन के नाम पर गड़बड़ी या फिर गैंग के नाम पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया हो, आज तक एक भी प्रकरण में कार्रवाई नहीं होना भी मिलीभगत को उजागर करता है। यहां तक कि कुछ वर्ष पूर्व तो सफाई ठेके का मामला एसीबी में भी जा चुका है।
वोटिंग से हो सकता है नई सफाई व्यवस्था का निर्णय

बताते है कि शहर की नई सफाई व्यवस्था को लेकर विरोध कर रहा पार्षदों का गुट भी अधिक से अधिक पार्षदों का समर्थन लेने में जुटा है। अगर यह प्रस्ताव नगर निगम की बैठक में इस बार भी निरस्त किया जाता है तो इसे दुबारा से बैठक में रखकर स्वीकृत कराना बड़ा मुश्किल होगा। ऐसे में मेयर समर्थित गुट वोटिंग के माध्यम से भी प्रस्ताव पर निर्णय करा सकता है। क्योंकि मेयर समर्थित गुट के पास प्रस्ताव पास कराने के लिए सिर्फ वोटिंग ही सहारा बचता है।
वर्तमान सफाई व्यवस्था में खामियां, करना चाहते है दूर

-नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार बोले

भरतपुर. नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार ने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था को चमकाने के लिए वर्तमान में चल रही पारम्परिक व्यवस्था में बदलाव समय की मांग है। यह काम भी निगम की ओर से बेहद प्राथमिकता पर चल रहा है। इसके लिए मैंने स्वयं छह शहर इंदौर, भोपाल, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, विदिशा में जाकर दौरा किया है। वहां पर सफाई व्यवस्था से जुड़े एक्सपर्ट से राय-शुमारी करके एकीकृत सफाई व्यवस्था करने का निर्णय लिया। वे सोमवार को एक होटल में हुई प्रेस कॉफ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में डीपीआर भी बनवाई गई। जून माह में स्वीकृति के लिए फाइल आगे भेजी गई, लेकिन हमारे कुछ पार्षदों ने इस पर विरोध जताया। फिर सभी ने बोर्ड बैठक में 21 पार्षदों एक टीम को चंडीगण दौरे पर भेजना का प्रस्ताव बनाया। बाद में ऑपन हाउस के जरिये सभी को निवेदन किया गया कि कोई भी इस दौरे पर चल सकता है। चंडीगण दौरे पर 22 पार्षद गए थे। वहां पर सभी पार्षदों ने सफाई व्यवस्था के हर पहलुओं को बारीकी से समझा और एक हस्ताक्षर वाली रिपोर्ट तैयार की। मेयर ने बताया कि चार एजेंसी की ओर से वर्तमान में सफाई व्यवस्था संचालित हो रही है। ऐसी स्थिति में जिम्मेदारी तय करना मुश्किल है और भ्रष्टाचार होने की आशंका भी बनी रहती है। एकीकृत सफाई व्यवस्था के कारण हाथ की घड़ी से स्टाफ की उपस्थिति दर्ज की जाएगी। तकनीकी सुविधाओं के कारण अन्य खामियां नहीं रहेगी। सभी को उचित ड्रेस, जूते व जीपीएस की सुविधा से लैस किया जाएगा। बीट व्यवस्था लागू होने से काम होने की पूरी जिम्मेदारी रहेगी। सिर्फ यह एक मात्र भ्रांति है। अभी तक एकीकृत सफाई व्यवस्था की डीपीआर बनी है। अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है और कुछ इसे मंहगा बताकर लोगों को गुमराह करना चाहते हैं। जब सब कुछ तय होगा तब तक हर विषय को बारीकी से सबके सामने पटल पर रखा जाएगा। मेयर अभिजीत कुमार ने बताया कि हमारी प्राथमिकता में जलभराव एक गंभीर समस्या है जिसके निदान के लिए निगम की ओर से डीपीआर कराई गई है। मुख्यमंत्री स्तर पर उसकी स्वीकृति ली गई है। उम्मीद है कि अक्टूबर माह में वर्क ऑडर जारी कर दिए जाएं।
नई सफाई व्यवस्था का विरोध नहीं किया तो होगी कार्रवाई

-भाजपा पार्षदों की बैठक में बोले जिलाध्यक्ष डॉ. शैलेष सिंह

नगर निगम के भाजपा पार्षदों की बैठक जिलाध्यक्ष डॉ. शैलेश सिंह की अध्यक्षता में की गई। बैठक में शहर के विकास पर चर्चा की गई। जिलाध्यक्ष डॉ. शैलेश सिंह ने कहा कि बोर्ड की बैठक में सभी पार्षदों को एकजुट रहकर शहर के विकास में अपनी अहम भूमिका निभानी है एवं उसके साथ ही प्रस्ताव संख्या 77 एकीकृत मैकेनाइज सफाई व्यवस्था के विरोध में सभी पार्षदों को एकजुट रहकर इस प्रस्ताव विफल करना है क्योंकि यह प्रस्ताव जनहित विरोधी है। भाजपा के पार्षद इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करेंगे एवं जो पार्षद इस प्रस्ताव के समर्थन में रहेगा उसके खिलाफअनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इस मौके पार्षद श्याम सुंदर गौड़, कपिल फौजदार नेता प्रतिपक्ष, रुपेंद्र सिंह, वीरवती, शिवानी दायमा, किरण राणा, मनीषा चौहान, सुधा शर्मा, सुमन प्रेमपाल, नरेंद्र सिंह, सुरजीत सिंह, विमलेश नीरज, विमलेश सुंदर सिंह, पुष्पा गुर्जर, रामवीर सीटू, नरेश जाटव, भगवान सिंह, कलुआ राम मीणा आदि उपस्थित थे।

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