कहा जाता है जहां आकांक्षाएं सीमित अवसरों से टकराती हैं, वहां दृढ़ संकल्प और विजय की कहानी सामने आती है। हितेश कुमार मीना गांव की गलियों से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के प्रतिष्ठित स्तर तक की उल्लेखनीय यात्रा कम नहीं है। वर्तमान में एडीसी गुरुग्राम के रूप में तैनात, हितेश कुमार मीना ने उन सभी चुनौतियों का सामना किया, जिनसे अक्सर घबराने वालों का रास्ता खत्म हो जाता है।
राजस्थान के करौली जिला के गाधौली गांव के किसान परिवार में जन्मे हितेश ने प्रारंभिक पढ़ाई गांव से की। 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वह आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा चले गए।उन्होंने प्रवेश परीक्षा पास की, IIT-BHU (वाराणसी) में उनका दाखिला हुआ, जहां उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा किया। चुनौतियों से घबराए बिना, उनकी शैक्षणिक यात्रा जारी रही और उन्होंने ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (GATE) के माध्यम से ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग में एम.टेक के लिए IIT-Delhi में प्रवेश प्राप्त कर लिया।
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हितेश का इंजीनियरिंग से सिविल सेवाओं में आने का फैसला अचानक नहीं था। वह बचपन से ही समाज में जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने की इच्छा रखते थे। उन्हें ज्ञात था कि साधारण परिवार से आने वाले व्यक्ति के लिए सिविल सर्विसेस की परीक्षाओं में सफलता हासिल किए बिना यह कर पाना मुश्किल है। उन्होंने अपने दादा-दादी के अथक संघर्षों से प्रेरणा लेते हुए इसकी तैयारी शुरू की।
हितेश कहते हैं, “मैं हमेशा मानता था कि शिक्षा एक ऐसा टूल है जिसके माध्यम से मैं कुछ भी हासिल कर सकता हूं।” सिविल सेवाओं में करियर का विचार उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का एक आदर्श माध्यम बन गया। उनके दादा-दादी, किसान थे जिन्होंने अदम्य साहस के साथ विपरीत परिस्थितियों का सामना किया, उनकी प्रेरणा का आधार बने।
हालांकि, UPSC CSE के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में सफलता की राह चुनौतियों से रहित नहीं थी। तीन प्रयास, दो साक्षात्कार और अनगिनत घंटों की तैयारी के बाद हितेश का एक मात्र लक्ष्य इसमे सफलता पाना था। आख़िरकार अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने वर्ष 2018 में AIR 417 के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की।
हितेश बताते हैं कि उनकी तैयारी में टेस्ट सीरीज़ का अहम योगदान रहा। बह कहते हैं कि जितनी अधिक टेस्ट सीरीज़ देंगे, पिछले साल के जितने अधिक प्रश्न हल करेंगे, सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होगी। टेस्ट सीरीज़ ने न केवल उनकी ताकत को निखारा, बल्कि उनकी कमजोरियों को भी उजागर किया और उन्हें सुधारा, जिससे उनकी सफलता की संभावनाएं बढ़ती गई। हितेश ने अभ्यर्थियों के लिए सोशल मीडिया के कम उपयोग पर भी जोर दिया है।
IAS अधिकारी हितेश मीना की सफलता इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प के साथ, सबसे साधारण जड़ें भी बड़ी सफलताओं को जन्म दे सकती हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं है; यह गुमनामी से महानता की ओर रास्ता बनाने की चाहत रखने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है।