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राजस्थान जाट आंदोलन: क्या है जाटों की मांग और इससे जुड़ा इतिहास, जानें

Jat Reservation: भरतपुर-धौलपुर के जाटों ने उच्चैन के जयचोली के निकट मुंबई रेलवे ट्रैक के निकट महापड़ाव डाला है, जिसे जाट नेताओं ने 22 जनवरी तक शांतिपूर्ण तरीके से करने की बात कही है।

भरतपुरJan 18, 2024 / 10:49 am

Anant

Jat Reservation: राजस्थान में आरक्षण की मांग को लेकर बुधवार ( 17 जनवरी ) से जाट फिर से इक्ठ्ठे होने शुरू हो गए हैं। भरतपुर-धौलपुर के जाटों ने उच्चैन के जयचोली के निकट मुंबई रेलवे ट्रैक के निकट महापड़ाव डाला है, जिसे जाट नेताओं ने 22 जनवरी तक शांतिपूर्ण तरीके से करने की बात कही है।

साथ ही चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर केंद्र व राज्य सरकार सुनवाई नहीं करती है, तो रेलवे ट्रैक व नेशनल हाईवे जाम कर आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसे लेकर उच्च प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जाट बहुल जिलों को अलर्ट जारी किया है। महापड़ाव स्थल के अलावा मुंबई रेलवे ट्रैक व आगरा-बीकानेर नेशनल हाईवे पर भी गश्त बढ़ा दी गई है। संभाग के चार जिलों के अलावा अजमेर से भी पुलिस जाब्ता बुलाकर तैनात किया गया है।

क्या हैं मांग?

समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार गत दिनों डीग के जनूथर में एक हुंकार सभा आयोजित की, जिसमें प्रदेशभर के जाट समाज के नेता शामिल हुए। सभा में केंद्र सरकार को 10 दिनों का समय दिया गया था। समिति का कहना है कि सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। दरअसल, जाट समाज की मांग है कि उनके समाज को केंद्र में आरक्षण दी जाए, जिसे 2015 में खत्म कर दिया गया।

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1998 में पहली बार शुरू हुआ

केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग वर्ष 1998 में पहली बार उठी। उससे बाद बीच- बीच में जाट समाज कई बार एकत्रित हुए। वर्ष 2006 में गुर्जर आंदोलन की मांग उठी, गुर्जर समाज को एकजुट कर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुर्जरों के लिए ओबीसी के बाहर एसटी वर्ग में आरक्षण मांगा। आंदोलन जिलेभर में हुआ। गुर्जरों ने 21 मई 2007 को फिर आंदोलन का ऐलान किया।

इस बार आंदोलन के लिए पीपलखेड़ा पाटोली को चुना गया। यहां से होकर गुजरने वाले राजमार्ग को जाम किया गया। इस दौरान आगरा-बीकानेर हाईवे बंद रहा था। साल 2008 में भरतपुर के बयाना में पीलुकापुरा ट्रैक पर ट्रेनें रोकीं। सात आंदोलनकारियों को पुलिस फायरिंग में जान गंवानी पड़ी। इससे गुर्जर और भडक़ गए। दिसंबर 2010 को फिर गुर्जर आंदोलन हुआ। इस बार भी मुख्य केन्द्र भरतपुर जिले की बयाना तहसील का गांव पीलु का पुरा रहा। यहां पर आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जरों ने रेल रोकी और महापड़ाव किया।

 

2015 में फिर जब केंद्र सरकार की ओर से जाट समाज का आरक्षण खत्म किया गया तब हजारों जाट आंदोलन पर उतर आए। इस बार भी आंदोलन का मुख्य केन्द्र भरतपुर जिले की बयाना तहसील का गांव पीलु का पुरा ही रहा। लंबे आंदोलन व कई दौर की बातचीत के बाद 23 अगस्त 2017 को पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया था, लेकिन केंद्र ने यह आरक्षण नहीं दिया। तब से लेकर बीच- बीच में इसकी मांग उठती रही है।

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