जगदीश ने अपने मित्र की सलाह पर 6 साल पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद से संतरे के पौधे मंगाकर 4 बीघा जमीन में संतरे की खेती शुरू की थी। इसमें रासायनिक खाद की बजाय जैविक खाद का प्रयोग किया। संतरे के पौधे लगाने के तीन साल बाद फल आना शुरू हो गया। इन संतरों को मंडी में नहीं, बल्कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से व्यापारी सीधे खेत से फल को खरीदकर ले जा रहे हैं। उन्हें इस संतरे की खेती से 5 से 6 लाख रुपए का मुनाफा हो जाता है, जो कि परंपरागत खेती से दोगुने से भी अधिक है।
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