बजट की कमी से संकट
अधिकारियों का कहना है कि हर वित्तीय वर्ष में निदेशालय की ओर से टेंडर होते हैं। यह प्रक्रिया नवंबर माह में पूरी कर ली जाती है, लेकिन इस बार बजट की कमी व टेंडर प्रयिा में देरी के चलते अस्पतालों में औषधियों का टोटा बना हुआ है।उदयपुर: आदेश आने पर ही बनाते हैं
अजमेर मुख्यालय के आदेश वाली दवाई ही बनाई जा रही हैं। पहले से करीब 13-14 तरह की दवाईयां बनती थी उनका का कोई हिसाब नहीं है। अब मात्र चार तरह की दवाइयों का निर्माण हो रहा है।जोधपुर: 21 में से केवल 5 दवाइयां ही
यहां 21 में से 5 तरह की औषधियां बन रही हैं जबकि 16 का टेंडर जयपुर से होगा। सरकार ने 14 तरह की अन्य औषधियां बाहर से खरीदी हैं। यहां से औषधियां 10 जिलों में सप्लाई होती हैं।अजमेर: दस साल से 18 औषधियों का निर्माण
अजमेर में राजकीय आयुर्वेदिक रसायनशाला है। यहां अर्क वटी, अर्क अजवायन, आनंद भैरव रस जैसी 18 दवाइयों का निर्माण होता है। रसायनशाला में पिछले 10 साल से इन्हीं औषधियों का निर्माण हो रहा है। ये ाज्य के सभी जिलों में आयुर्वेदिक औषधालयों में भेजी जाती है।केलवाड़ा: कोई औषधि नहीं बन रही
बारां जिले में स्थित रसायनशाला में फिलहाल कच्चा माल नहीं होने के कारण किसी भी औषधि का निर्माण नहीं हो रहा है जबकि पहले 11 तरह की दवाइयां बनती थी। व्यवस्थापक डॉ. जसवंत सिंह मीणा ने बताया कि रसायन शाला से चार दवाइयों का निर्माण कर अप्रैल 2024 में उदयपुर, भरतपुर, जोधपुर और अजमेर रसायन शाला भेजा गया।नहीं पूरा हो पाया ‘पशु बीमा’ टारगेट, भजनलाल सरकार ने अब लिया ये बड़ा फैसला
जल्द वितरण करेंगे
भरतपुर की रसायन शाला में दो दवा बन रही है। अन्य दवाओं के लिए सामग्री खरीद रहे हैं। अभी इंडियन मेडिसिंस फार्मेस्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड से 11 करोड़ की दवाएं खरीदी हैं। नमूने जांच के लिए लैब गए हुए हैं। जल्द इनका वितरण कराया जाएगा।-डॉ. आनन्द शर्मा, निदेशक आयुर्वेदिक विभाग, अजमेर
स्वीकृति बाकी
भरतपुर, अजमेर, उदयपुर, बारां के केलवाड़ा व जोधपुर में अजमेर से दवा बनाने के लिए जॉब ऑर्डर आता है। इस बार दो दवाई ही शेष रह गई है। अबकी बार इंडियन मेडिसिन्स फार्मेस्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड से दवा खरीदी है। स्वीकृति आना बाकी है।-डॉ. हरिओम, मैनेजर रसायनशाला, भरतपुर