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भरतपुर

मुश्किल हो रहा था बच्चों को पढ़ाना, मुड्डा बनाना सीखकर निभाई भागीदारी

-गांव चक नगला बीजा की महिला इंदिरा की कहानी, कमा रही 18 से 20 हजार रुपए प्रति माह

भरतपुरMar 22, 2021 / 03:28 pm

Meghshyam Parashar

मुश्किल हो रहा था बच्चों को पढ़ाना, मुड्डा बनाना सीखकर निभाई भागीदारी

मुश्किल हो रहा था बच्चों को पढ़ाना, मुड्डा बनाना सीखकर निभाई भागीदारी

भरतपुर. किसी महिला को उचित प्रशिक्षण देकर उसका सफल मार्गदर्शन किया जाए तो वह निश्चय ही अपने कार्य को बेहतर ढंग से अंजाम दे सकती है। ऐसा ही कर दिखाया साक्षर इन्दिरा ने, इसने मुड्डा बनाने का प्रशिक्षण लिया और आज अपनी मेहनत व लगन से प्रतिमाह 15 हजार रुपए कमा रही है। परिवार की आय में भागीदार बनने से घर में सम्मान बढ़ा है और उसने अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाना प्रारंभ कर दिया है।
रूपवास पंचायत समिति क्षेत्र के चक नगला बीजा निवासी इन्दिरा गांव की अन्य महिलाओं की तरह घरेलू काम-काम के अलावा खेतों पर मजदूरी करने जाती और उसका पति मुकेश भी मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहा था लेकिन बच्चों की पढ़ाई एवं अन्य कार्य करना दूभर हो रहा था। जीवन का चक्र बड़ी मुश्किल से चल रहा था। इसी बीच लुपिन फाउंडेशन में गांव चक नगला बीजा में मुड्डा निर्माण का प्रशिक्षण शिविर लगाया। इस गांव में अधिकांश लोग मुड्डा निर्माण का कार्य करते थे लेकिन नवीन डिजाइन एवं आधुनिक बनावट का समावेश नहीं होने की वजह से इनका विक्रय मूल्य बहुत कम मिल पाता था। लुपिन की ओर से आयोजित इस प्रशिक्षण शिविर में इन्दिरा ने भी भाग लिया और तीन माह के प्रशिक्षण के बाद उसने अपना काम शुरू करने के बारे में सोच बनाई तो उसके पास इतनी राशि नहीं थी कि वह अपना अलग से काम शुरू कर सके। इसके लिए लुपिन संस्था ने उसे 15 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की। इस राशि से उसने मुड्डा निर्माण की सामग्री खरीदी और पूरी लगन व मेहनत से काम शुरू किया। उसकी ओर से निर्मित मुड्डों में आधुनिक बनावट के अलावा गुणवत्ता भी अधिक होती थी। इन मुड्डों को लेकर उसका पति आस-पास के गांवों में हाट बजारों में बेचने लगा जिससे उसकी आमदनी बढऩे लगी।
मथुरा, आगरा व दिल्ली तक हो रही बिक्री

इन्दिरा की ओर से बनाए गए मुड्डों में अधिक गुणवत्ता होने की वजह से वह भरतपुर, मथुरा, आगरा और दिल्ली के बाजारों में ले जाने लगे। जहां इसकी मांग बढ़ती चली गई। इन्दिरा के बढ़ते काम को देखकर गांव की अन्य महिलाओं ने भी मुड्डा निर्माण का काम सीख लिया। वे भी नवीन डिजाइंनों के मुड्डा बनाने लगी। इससे उनका कारोबार भी बढ़ता चला गया। इन्दिरा को मुड्डा निर्माण में हो रही आय को देखकर उसने अपने पति को मुड्डा निर्माण के कारोबार में लगा लिया और सभी बच्चों को स्कूल भेजना प्रांरभ कर दिया। इन्दिरा का परिवार खुशहाल जिन्दगी जी रहा है।

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